शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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श्राद्ध पक्ष में ये हैं दुर्लभ योग, जो देंगे अनंत गुना फल

श्राद्ध पक्ष में ये हैं दुर्लभ योग, जो देंगे अनंत गुना फल - shradhh-pitra
ऐसे करें पितरों के निमित्त श्राद्ध, मिलेगा शुभ फल...


 
ज्योतिष एवं कर्मकांड मार्ग प्रदीप के अनुसार ऋषि और मातृ-पितृ तीनों ऋण चुकाने वाला पक्ष 27 सितंबर, रविवार से प्रारंभ होकर 12 अक्टूबर को सोमवती अमावस्या के साथ 16 दिन बाद समाप्त होगा। आश्विन कृष्ण पक्ष (महालय) तथा कनागत नाम से जाने जाने वाले इस पक्ष को कन्या राशिगत सूर्य में श्रेष्ठ माना जाता है, जो कि इस बार वर्षों बाद बन रहा है। यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे सभी धर्मों के लोग मानते हैं।
 
दुर्लभ योग, जो श्राद्ध और तर्पण का देंगे अनंत गुना फल
 
ज्योतिष में पितरों का कारक माना जाता है सूर्य तथा (ननिहाल) पक्ष का कारक माना जाता है राहु। ये दोनों साथ में कुंडली में जब चतुर्थ तथा दशम भाव में बैठते हैं तो इससे एक महत्वपूर्ण दोष उत्पन्न होता है जिसे पितृदोष के नाम से जाना जाता है। 
 
ज्योतिष इतिहास में शायद पहली बार ऐसा योग बना है जिसमें श्राद्ध पक्ष में सूर्य, बुध, राहु उच्च कन्या राशि में एकसाथ हो, जो इस योग में श्राद्ध, तर्पण करेगा उसे यह योग कई गुना शुभ फल देगा।
 
19 साल बाद श्राद्ध पक्ष में सूर्य व राहु की युति से गजछाया योग बन रहा है। इसके पहले 1996 में यह योग बना था। ऐसे योग में पितृकर्म (श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान) करने से उसका अनंत गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इस योग में पितरों के निमित्त श्राद्ध आदि करने से वे पूर्णतः तृप्त होंगे व श्राद्ध करने वाले को धन-धान्य, पुत्र-पौत्र, सुख-संपत्ति आदि का सुख प्राप्त होगा। इसमें तर्पण श्राद्ध करना उत्तम फलदायक रहेगा 
 
 


 


कब और कौन करें श्राद्ध :- 
 
हर व्यक्ति को पूरी श्रद्धा के साथ किसी न किसी के लिए श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध मृतक की मृत्यु तिथि के दिन करना चाहिए, न कि उसके अंतिम संस्कारों की तिथि को। जिस स्त्री के संतान न हो और पति न हो, वह स्त्री अपने पति तथा बच्चों का श्राद्ध कर सकती है। गुरु, संन्यासियों का भी श्राद्ध शिष्यों द्वारा किया जाना चाहिए। योग्य वैदिक पंडित से विधिवत श्राद्ध करने-करवाने से अवश्य श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होगी 
 
इन बातों का रखें ध्यान :- 
 
* श्राद्ध पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।
* संध्या शील, वैदिक ब्राह्मण को विषम 1, 3, 5 की संख्या में भोजन कराएं। 
* श्राद्ध केवल मध्याह्न काल में करें, सुबह या सायंकाल में नहीं।
* सफेद पुष्प, सफेद चंदन के अलावा किसी भी सुगंधित वस्तु या पुष्प, तुलसी का प्रयोग न करें।
 
यह होगा लाभ :- 
 
* पितरों की आत्मा प्रसन्न होगी व आशीर्वाद प्राप्त होगा।
* पितृऋण, पितृदोष से मुक्ति मिलेगी।
* दान का फल मिलेगा।
* प्रगति, सफलता, गृहक्लेश, विवाह न होना, शारीरिक समस्या, दुर्घटनाओं, सुख में कमी, संतान न होना, प्रेत आत्मा से परेशानी आदि से श्राद्ध मुक्ति दिलाएगा। 
 
विशेष क्या करें :-
 
* देव, ऋषि, पितरों का तर्पण करें।
* पितृसूक्त का पाठ करें।
* गाय, कौआ, चींटी, भिखारी, अतिथि को कुछ भोज्य सामग्री देने तथा दोनों हाथ उठाकर उस तिथि पर हाथ उठाकर प्रार्थना करने से भी श्राद्ध प्रक्रिया पूरी मानी जाती है। 
* पीपल का वृक्ष लगाने, जल चढ़ाने, रक्तदान करने, प्याऊ खुलवाने से भी इस समय लाभ होगा।