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नमस्कार पहले, नमस्ते बाद में, क्या आप जानते हैं जीवन के कुछ खास नियम

नमस्कार पहले, नमस्ते बाद में, क्या आप जानते हैं जीवन के कुछ खास नियम - niti niyam
पशु, पक्षी, पितर, दानव और देवताओं की जीवन चर्या के नियम होते हैं, लेकिन मानव अनियमित जीवन शैली के चलते धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष से अलग हो चला है। रोग और शोक की गिरफ्तर में आकर समय पूर्व ही वह दुनिया को अलविदा कह जाता है या वह दुनिया को खराब करने का जिम्मेदार है।
 
सनातन धर्म ने हर एक हरकत को नियम में बांधा है और यह नियम ऐसे हैं जिससे आप किसी भी प्रकार का बंधन महसूस नहीं करेंगे, बल्कि यह नियम आपको सफल और निरोगी ही बनाएँगे।
 
।।कराग्रे वस्ते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती। 
कर पृष्ठे स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्‌॥
 
प्रात:काल जब निद्रा से जागते हैं तो सर्व प्रथम बिस्तर पर ही हाथों की दोनों हथेलियों को खोलकर उन्हें आपस में जोड़कर उनकी रेखाओं को देखते हुए उक्त का मंत्र एक बार मन ही मन उच्चारण करते हैं और फिर हथेलियों को चेहरे पर फेरते हैं।
 
पश्चात इसके भूमि को मन ही मन नमन करते हुए पहले दायां पैर उठाकर उसे आगे रखते हैं और फिर शौच आदि से निवृत्त होकर पांच मिनट का ध्यान या संध्यावंदन करते हैं।
 
संध्यावंदन :
शास्त्र कहते हैं कि संध्यावंदन पश्चात ही किसी कार्य को किया जाता है। संध्या वंदन को संध्योपासना भी कहते हैं। संधि काल में ही संध्या वंदन की जाती है। वैसे मुख्यत: संधि 5 वक्त की होती है, लेकिन प्रात: काल और संध्‍या काल- उक्त दो वक्त की संधि प्रमुख है। अर्थात सूर्य उदय और अस्त के वक्त। इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर गायत्री छंद से निराकार ईश्वर की प्रार्थना की जाती है।
 
घर से बाहर जाते वक्त :
घर (गृह) से बाहर जाने से पहले माता पिता के पैर छुए जाते हैं फिर पहले दायां पैर बाहर निकालकर सफल यात्रा और सफल मनोकामना की मन ही मन ईश्वर के समक्ष इच्छा व्यक्त की जाती है।
 
किसी से मिलते वक्त :
कुछ लोग राम-राम, गुड मॉर्निंग, जय श्रीकृष्ण, जय गुरु, हरि ओम, साँई राम या अन्य तरह से अभिवादन करते हैं। लेकिन संस्कृत शब्द नमस्कार को मिलते वक्त किया जाता है और नमस्ते को जाते वक्त। फिर भी कुछ लोग इसका उल्टा भी करते हैं।

कुछ विद्वानों का मानना है कि नमस्कार सूर्य उदय के पश्चात्य और नमस्ते सूर्यास्त के पश्चात किया जाता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदुओं ने अभिवादन के अपने-अपने तरीके इजाद कर लिए हैं जो सही है या गलत हम नहीं जानते।

कोरोना काल के बाद अब सब नमस्ते का महत्व समझने लगे हैं...
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