विवाह योग्य कन्या पुखराज धारण करें तथा सप्तमेश का रत्न विद्वान की सलाह से धारण कर निम्नलिखित मंत्रों का जप करें।
(1) कात्यायनी देवी का मंत्र-
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोपसुतं देवि पति में कुरुते नम:।।
(2) महामृत्युंजय का जप करें। शिवजी की पूजन तथा संभव हो तो संकट सोमवार व्रत करें।
मंत्र निम्नलिखित है -
ॐ त्र्यंम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टि वर्धनम्
उर्वारुकमिव बंधनं मृत्योर्मुक्षीयमामृत:।।
(3) रुक्मणि मंगल, पार्वती मंगल यदि मांगलिक हैं तो मंगला गौरी व्रत, वट सावित्री व्रत, मंगल शांति, मंगल चण्डिका के जप करें या कराएं।
देवी पाठ के अर्गला के निम्न मंत्र भी अनुभूत हैं।
देहि सौभाग्यं, आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्,
रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि।।
या
या देवि सर्वभूतेषु पतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
कन्या के रहने का कमरा या सोने का स्थान नैऋत्य कोण में हो तो तुरंत हटाएं। वायव्य दिशा में रखें।
उपरोक्त सभी उपाय शास्त्रीय हैं। श्रद्धा, भक्ति तथा विश्वास से करने पर मनोनुकूल परिणाम निश्चित ही मिलते हैं।