शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. makar sankranti 2015 in hindi
Written By Author पं. देवेन्द्रसिंह कुशवाह

15 जनवरी को है मकर संक्रांति, जानिए राशि पर प्रभाव

15 जनवरी को है मकर संक्रांति, जानिए राशि पर प्रभाव - makar sankranti 2015 in hindi
क्या कहता है इस बार का पंचांग 
 


 

नववर्ष 2015 की मकर संक्रांति हाथी पर सवार होकर गर्दभ उपवाहन के साथ मुकुट का आभूषण पहनकर पशु जाति की मकर संक्रांति गोरोचन का लेप लगाकर लाल वस्त्र और बिल्वपत्र की माला पहनकर हाथ में धनुष धारण कर हाथ में लोहे का पात्र लिए दुग्धपान करती हुई प्रौढ़ावस्था में रहेगी।
 
इस वर्ष सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सूर्यास्त के बाद शाम 7 बजकर 27 मिनट पर प्रवेश करेगा। संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी की दोपहर 1 बजकर 3 मिनट पर प्रारंभ होगा, जो अगले दिन 15 जनवरी को 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। संक्रांति के बाद स्नान, दान और पूजा का महत्व है।
 
हिन्दू संस्कृति को त्योहारों, परंपराओं, मान्यताओं का देश माना जाता है। इन्हीं बातों के कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत आज भी सर उठाए खड़ी है। अंग्रेजी नववर्ष के प्रारंभ होते ही देश में संक्रांति के महान पर्व का आगाज हो रहा है। दीपावली, होली के समान मकर संक्रांति ऐसा दिव्य पर्व है जिसे पूरे देश में अलग-अलग तरह और नाम से एकसाथ मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति किस रूप में आपके और देश के लिए क्या क्या लेकर आ रही है, जानिए इस आलेख में...
 
आगे पढ़ें क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
 
 


 

क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
 
भगवान भुवन भास्कर के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहते हैं। पूरे वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। जब मेष, वृषभ आदि राशि में भगवान सूर्य प्रवेश करते हैं तो उसे ही मेषादि संक्रांति कहा जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा मकर संक्रांति का महत्व होता है। इसे उत्तरायन भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन से सूर्य आने वाले 6 माह के लिए उत्तरायन हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायन को देवताओं का दिन माना जाता है और कर्क संक्रांति के बाद के 6 माह को दक्षिणायन कहा जाता है, जो देवताओं की रात मानी जाती है। जबकि मान्यता है कि दक्षिणायन पितरों का दिन होता है और उत्तरायन पितरों की रात होती है। सूर्य के मकर राशि में आने के बाद दिन बड़े होने लगते हैं, नए प्रकाश का उदय होता है, प्रकाश उन्नति, जीवंत शक्ति, सकारात्मकता का प्रतीक होने से इसका महत्व बहुत ज्यादा होता है। यही बेला होती है, जब शिशिर ऋतु की विदाई और वसंत का आगमन होता है।

 
आगे पढ़ें मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व-
 


 


मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व-
 
भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की जानकारी हमें वैदिक काल से मिलती है। फिर भी पुराणों व शास्त्रों में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिससे मकर संक्रांति के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है-
 
1. भागवत पुराण, देवी पुराण के मुताबिक मकर संक्रांति ही वह महान पर्व होता है, जब भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि के घर उनसे मिलने जाते हैं। मान्यता है कि पिता और पुत्र में आपसी शत्रुता है और जैसे दिन का कारक सूर्य को मानते हैं वैसे ही रात का कारक शनि को माना जाता है इसलिए मकर संक्रांति को शनि की राशि मकर में सूर्य के आने को दैवीय समय माना जाता है।
 
2. मकर संक्रांति का महत्व इस बात से पता चलता है कि इच्छामृत्यु प्राप्त भीष्म पितामह ने अपने प्राणों को त्यागने के लिए उत्तरायन का इंतजार किया था। बाणों की शय्या पर सोए भीष्म ने उत्तरायन आने पर माघ अष्टमी पर अपने प्राण त्यागे थे। उत्तरायन में प्राण त्यागने के महत्व पर गीता में कहा गया-
 
अग्निज्योर्तिरह: शुक्लम्, षष्मासा उत्तरायनम्।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति, ब्रह्म ब्रह्मविदोजना:।।
 
अर्थात जब सूर्य उत्तरायन होता है, दिन के समय ब्रह्म को जानने वाले योगी अपने प्राणों का त्याग करते हैं तो ब्रह्म को प्राप्त करते हैं।
 
3. ब्रह्मांडपुराण में बताया गया है कि मकर संक्रांति को पुत्र की इच्छा रखने वाली स्त्री को दान करने का अनंत फल मिलता है। ब्रह्मांडपुराण के अनुसार यशोदा ने इस दिन ताम्बूल का दान किया था इसलिए इन्हें कृष्ण के समान सुपुत्र प्राप्त हुआ। 
 
4. मकर संक्रांति पर गंगासागर का विशेष महत्व होता है। कहते हैं भागीरथ ने कठिन तपस्या करके गंगा को प्रसन्न किया और गंगा की जटा से निकलने के बाद अपने पीछे-पीछे चलने का आग्रह किया। मकर संक्रांति पर ही भागीरथ गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम पहुचे थे, जहां राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को तारना था। आज भी सबसे ज्यादा महत्व गंगासागर में स्नान करने का होता है। कहते हैं- 'सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार।' इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इलाहाबाद में 1 माह का माघ मेला इसी दिन प्रारंभ होता है।
 
आगे पढ़ें मकर संक्रांति का देश-दुनिया पर प्रभाव :
 

मकर संक्रांति का देश-दुनिया पर प्रभाव :


 
इस वर्ष मकर संक्रांति के समय स्वाति नक्षत्र और तुला राशि रहेगी जबकि लग्न कर्क रहेगा। इस साल की संक्रांति के फलस्वरूप लाल रंग के वस्त्र, लाल वस्तुएं, अष्टगंध, दूध-दही, चांदी, चावल, लोहा, स्टील, इस्पात, पेट्रोलियम, सूखे मेवे, मसाले, रस, खाद्यान्न के भावों में तेजी आएगी। कर्क लग्न में गुरु उच्च के और सप्तम में बुध, शुक्र होने से वाणिज्य-व्यापार, आयात-निर्यात, विदेशी व्यापार पर वृद्धि और लाभ होगा
 
मकर संक्रांति का जानिए 12 राशियों पर प्रभाव


 


 


मकर संक्रांति का जानिए 12 राशियों पर प्रभाव
 
मेष : धनलाभ, सम्मान, कार्यस्थल में कष्ट। 
वृषभ : पराक्रम में वृद्धि, धार्मिक यात्रा, तनाव। 
मिथुन : धनलाभ, रुका पैसा मिलेगा, शारीरिक पीड़ा। 
कर्क : दांपत्य कष्ट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द। 
सिंह : शत्रु विजय, स्वास्थ्य चिंता, अचानक धन खर्च। 
कन्या : संतान कष्ट, लाभ, समृद्धि। 
तुला : वाहन कष्ट, आर्थिक लाभ, कार्यस्थल में परेशानी। 
वृश्चिक : भाई-बंधुओं में विवाद, चिंता, धार्मिक यात्रा। 
धनु : धन, कुटुम्ब सुख, मानसिक तनाव। 
मकर : तनाव, चिड़चिड़ापन, लाभ, दांपत्य कष्ट। 
कुंभ : चिंता, शारीरिक पीड़ा, पदोन्नति। 
मीन : लाभ के योग, संतान कष्ट, पेट में पीड़ा।
 
 


 


क्या करें इस मकर संक्रांति पर?
 
मकर संक्रांति पर स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है
 
स्नान : इस दिन गंगा स्नान संभव हो तो अवश्य करना चाहिए। जो लोग गंगा स्नान नहीं कर सकते उन्हें अपने आसपास की पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। जो लोग ये भी न कर पाएं, उन्हें घर पर नहाने के पानी में तिल और गंगा आदि पवित्र का जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
 
दान : इस पावन पर्व पर दान का विशेष महत्व है। पुण्यकाल में तिल, तिल से बनी वस्तुओं, खिचड़ी, पुराने कपड़ों, लाल वस्तुओं का दान, गुड़, श्रीफल सहित दक्षिणा, सूखे अन्न आदि का दान करना उचित है। गाय को घास खिलाना विशेष लाभकारी होगा।
 
पूजा : भगवान सूर्यनारायण के आराधना का पर्व है इसलिए सूर्य मंत्र 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' का जाप करें। इसके अलावा आदित्य हृदय का पाठ, सूर्यसुक्त, सूर्यसहस्रनाम, गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।


ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें।