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Last Modified: सोमवार, 9 मई 2022 (12:12 IST)

मां बगलामुखी देवी को क्यों कहते हैं पीताम्बरा, हल्दी की गांठ के सरल उपाय देंगे फल मनचाहा

मां बगलामुखी देवी को क्यों कहते हैं पीताम्बरा, हल्दी की गांठ के सरल उपाय देंगे फल मनचाहा - Maa Magalamukhi devi ko kyon kahate hain pitambara
Maa Baglamukhi Devi jayanti 2022: वैशाख शुक्ल अष्‍टमी को मां बगलामुखी की जयंती मनाई जा रही है। मां बगलामुखी के तीन ही शक्तिपीठ प्रमुख है- दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। दतिया में पीतांबरा पीठ है। आओ जानते हैं कि क्यों कहते हैं उन्हें पीताम्बरा और हल्दी की गांठ के सरल उपाय।
 
 
क्यों कहते हैं पीतांबरा : बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। इसी कारण माता को पीतांबरा कहते हैं। पीताम्बरा देवी की मूर्ति के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एवं शत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभ को कीलित कर देती हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं।
 
देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र, आभूषण तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। इसीलिए उनका एक नाम पीतांबरा भी है। कहते हैं कि देवी बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी ने अपने बाएं हाथ से शत्रु या दैत्य के जिह्वा को पकड़ कर खींच रखा है तथा दाएं हाथ से गदा उठाए हुए हैं, जिससे शत्रु अत्यंत भयभीत हो रहा है। कई स्थानों में देवी ने मृत शरीर या शव को अपना आसन बना रखा है तथा शव पर ही आरूढ़ हैं तथा दैत्य या शत्रु की जिह्वा को पकड़ रखा हैं। यह रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं।
हल्दी के उपाय : 
 
1. 11 हल्दी की गांठ की 2 पोटली बनाएं, एक पूजा के बाद घर में रखना है और दूसरी जल में प्रवाहित कर देना है, या मंदिर में ही रख देना है।
 
2. हल्दी की माला से यदि बगलामुखी मंत्र का जाप करते हैं तो शत्रु बाधा निवारण होगा। हल्दी की माला भाग्य दोष का हरण करती है। हल्दी की माला धन एवं कामनापूर्ति और आरोग्यता के लिए श्रेष्ठ है। 
 
3. मां बगलामुखी की पूजा के लिए पीले रंग की सामग्री का उपयोग करना चाहिए।
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