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अंग फड़कने के फल !
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पं. अशोक पंवार 'मयंक' आम जीवन में रोजाना हमारे साथ होने वाले शकुन-अपशकुन हमें आने वाले भविष्य की कहानी कह देते हैं, बस हमें इनका अर्थ समझना आना चाहिए। घर से निकलते समय यदि बिल्ली रास्ता काट दे तो कुछ देर घर में रुक जाना ही ठीक रहता है। इसी प्रकार अलग-अलग अंग के फड़कने के अलग-अलग फल मिलते हैं। * यदि मस्तक फड़के तो भू-लाभ मिलता है। * ललाट का फड़कना स्नान लाभ दिलाता है। * यदि कंधे फड़के तो भोग-विलास में वृद्धि होती है। * दोनों भौंहों के मध्य फड़कन सुख देने वाली होती है। * कपोल फड़के तो शुभ कार्य होते हैं। * नेत्र का फड़कना धन लाभ दिलाता है। * नेत्रकोण फड़के तो आर्थिक उन्नति होती है। * आँखों के पास फड़कन हो तो प्रिय का मिलन होता है। * हाथों का फड़कना उत्तम कार्य से धन मिलने का सूचक है। * वक्षःस्थल का फड़कना विजय दिलाने वाला होता है। * हृदय फड़के तो इष्टसिद्धी दिलाती है। * नाभि का फड़कना स्त्री को हानि पहुँचाता है। * उदर का फड़कना कोषवृद्धि होती है, * गुदा का फड़कना वाहन सुख देता है। * कण्ठ के फड़कने से ऐश्वर्यलाभ होता है।* ऐसे ही मुख के फड़कने से मित्र लाभ होता है और होठों का फड़कना प्रिय वस्तु की प्राप्ति का संकेत देता है।