गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

योग का मोडिफिकेशन!

योग का मोडिफिकेशन! -
भारत ही नहीं भारत के बाहर भी योग दर्शन और आसनों को तोड़मरोड़कर नए तरीके से प्रस्तुत किए जाने का प्रचलन चल पड़ा है। हो सकता है‍ कि कुछ लोग इसका पक्ष लें और कुछ नहीं

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जहाँ तक सवाल 'अंग संचालन' को 'अंग संचालन' ही कहने का है तब तक ठीक ही है, लेकिन जैसे ही आप 'अंग संचालन' को मोडिफाई करने के नाम पर उसे 'एरोबिक्स' या 'बॉडी मूवमेंट' नाम दे देते हैं तो फिर मामला जरा बदल जाता है।

जबसे पश्चिम जगत में इस बात को लेकर चिंतन बढ़ा है कि भारत के धर्म, दर्शन और योग के चमत्कृत कर देने वाले ज्ञान से कैसे निपटा जाए तो निश्चित ही उनके लिए समाधान खोजने के लिए ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ी होगी।

जाने-अनजाने उनके इस 'निपटा' देने वाले कार्य में भारतीय योगाचार्य भी शामिल हो जाएँ तो कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि भारत में अनुसरण आता है पश्चिम की तरफ से। यदि अँगरेज बेलिबास होकर 'बेलिबास योगा' करेंगे तो भारतीय तो उनका अनुसरण करने के लिए तैयार ही बैठा है। फिर कुछ दिनों बाद उसके आगे से योगा हटाकर 'बेलिबास एक्सरसाइज' कर दिए जाने का आपको पता भी नहीं चलेगा। जैसे आपको शायद ही इस बात का अहसास हो कि कुछ वर्ष पहले हम किस तरह की हिंदी बोलते थे।

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सुना है कि अमेरिका में कहीं बेलिबास योगा भी सिखाया जाता है, जिसके विषय में तर्क दिया जाता है कि योग की अपेक्षा इससे ज्यादा लाभ मिलता है। दूसरी ओयह तो सभी जानते हैं कि हठ योग को आजकल 'पॉवर योगा' कहा जाने लगा है। यह भी कि अब तो सभी आसनों के अँगरेजी नाम इजाद कर लिए गए हैं। जैसे कि पद्मासन को 'लोटस पोश्चर' कहते हैं। अर्ध मत्स्येंद्रासन को 'हॉफ स्पाइनल ट्विस्ट पोश्चर' कहते हैं। अब आप ही बताइए कि गुरु मत्स्येंद्रनाथ का नाम अँगरेजी में क्या हो सकता है? नटराज आसन को किंग ऑफ डांस पोश्चर कहना कितना उचित है?

ईसाई योगा : क्या 'ईसाई योगा' नाम से भी कोई योगा प्रचलन में है? कहते हैं कि कुछ लोगों ने शरीर का मूवमेंट वही, साँस लेने का तरीका वही बस एक जीसस को जोड़कर 'ईसाई योगा' का आविष्कार किया है। कैसे? ''इन द नेम ऑफ द फादर, एंड ऑफ द सन''- वे कहते हैं कि हम सूर्य नमस्‍कार करते तो हैं, लेकिन हमारे लिए सन (सूर्य) नहीं, सन (बेटा) अर्थात जीसस क्राइस्‍ट है।

लगभग पाँच वर्ष पूर्व क्रिश्चियन योगा को गढ़ा गया था। मिनेसाटा के मैटोमेडि इलाके में स्थित सेंट एंड्रूयू लूथटन चर्च में सिंडी सेनारिगी की 'क्रिश्चियन योगा' की क्लास में 'योगा डिवोशन' में श्वास क्रिया 'उज्जायी' सिखाई जाती थी और जिसे वह कहती थी कि ये उज्जयी नहीं 'याहवेह' है। बाद में विवाद के चलते इस क्लास को बंद भी कर दिया गया था।

अमेरिका में ही 2005 में 'नेशनल एसोसिएशन ऑफ क्रिश्चन योगा टीचर्स की नींव पड़ी। इससे संबंधित किताबें और ऑडियो और वीडियो का बाजार भी विकसित किया गया। इस तरह धीरे-धीरे अमेरिका के बाद ब्रिटेन के चर्च हिंदू, प्रार्थना, ध्यान और योग की क्रियाओं को ईसाईयत अनुसार ढालने लगे।

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योगा शॉप : बाजारवाद के चलते अब तो 'योगा शॉप' भी खुल गई है, जहाँ आप पाएँगे कई रंगों में उपलब्ध मॉडर्न मेट, रंग-बिरंगी नक्काशी की हुई कालीन, म्यूजिक सिस्टम, बुक्स, लड़के और लड़कियों के अलग योगा ड्रेसेस, योगा बेग्स, जलनेति के लिए नेति पॉट, धोति कर्म के लिए धोति, विशेष आसनों के लिए तकिए, गद्दे और लकड़ी के पॉट जैसी अनेक और चीजें हैं, जो बाजार में उपलब्ध हैं।

विचारणीय : क्या यह विचारणीय नहीं है कि योग को योग नहीं रहने देनके खिलाफ एक 'छद्म युद्ध' छेड़े जाने की धीरे ही सही पर शुरुआत हो चुकी मानी जाए? जैसा कि भारत की प्रत्येक विद्याओं के साथ होता आया है। कुछ वर्ष पूर्व हम सम्मोहन विद्या या उसको साधने की त्राटक विद्या को काली विद्या मानकर उससे बचते थे, अब जब से उस पर शोध हुए हैं और वह पश्चिमी रंग में रंगकर नए कलेवर में हमारे सामने प्रस्तुत है, एक नए नाम से- 'हिप्नोटिज्म'। इससे हमें अब एतराज नहीं।