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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
Last Updated : बुधवार, 9 जुलाई 2014 (17:06 IST)

बलशाली व्यक्तित्व बनाने का तरीका

बल समुह संयम योगा

Bal samuha sayam yoga | बलशाली व्यक्तित्व बनाने का तरीका
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आसनों के करने से शरीर तो पुष्ट होता ही है साथ ही प्राणायाम के अभ्यास से वह बलशाली बनता है। बलशाली बनने का एक और तरीका है जिसे 'बल समुह संयम योगा' कहते हैं। धारणा सिद्धि योगी के लिए यह बहुत ही सरल है। सामान्य लोगों को इसका अभ्यास करना होगा।

ऐसे होगा यह संभव : बल में संयम करने से व्यक्ति बलशाली हो जाता है। बलशाली अर्थात जैसे भी बल की कामना करें वैसा बल उस वक्त प्राप्त हो जाता है। जैसे कि उसे हाथीबल की आवश्यकता है तो वह प्राप्त हो जाएगा।

व्यक्ति जिस पर ध्यान देता है वह चिज सक्रिय होने लगती है यदि आप नकारात्मक बातों पर ध्यान देते रहते हैं तो नेगेटिव सक्रिय होकर आपने जीवन को तहस नहस कर देगा, लेकिन यदि आप सकारात्मक ातों पर ध्यान देते हैं तो जीवन में सब कुछ सकारात्मक ही होगा। ठीक उसी तरह आप अपने व्यक्तित्व में बल को महत्व देने लगे और बल पर ही संयम करते रहें तो आपका व्यक्तित्व बलशाली बनने लगेगा। शुरुआत छोटी चिजों से करें।

योग मानता है कि ‍शक्ति दिमाग में होती है शरीर में नहीं। दिमाग को आदेश दें कि आप शक्तिशाली हैं। इस सिद्धि को बल समुह में संयम ‍की सिद्धि कहते है। यह जब प्राप्त हो जाती है तो व्यक्ति हाथी के बल में संयम करने से हाथी के समान बल, सिंह के बल में संयम करने से सिंह के समान, गरुड़ के बल में संयम करने से गरुड़ के समान, वायु के बल में संयम करने से वायु के समान बल प्राप्त कर सकता है।

कैसे होगा यह संभव?
प्राणायाम, धारणा और ध्यान द्वारा यह प्राप्त किया जा सकता है। छोटी सी विवि हैं यदि आप यौगिक यम, नियम और आहार का पालन करते हुए प्रतिदिन, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। धारणा का मतलब मन को एकाग्र कर मजबूत करने का उपक्रम। चित्त को किसी एक विचार मे बांध लेने की क्रिया को धारणा कहा जाता है। ऐसे चित्त की कल्पनाएं साकार होने लगती है।

दृड़ निश्चियी : धारणा के संबंध में भगवान महावीर ने बहुत कुछ कहा है। श्वास-प्रश्वास के मंद व शांत होने पर, इंद्रियों के विषयों से हटने पर, मन अपने आप स्थिर होकर शरीर के अंतर्गत किसी स्थान विशेष में स्थिर हो जाता है तो ऊर्जा का बहाव भी एक ही दिशा में होता है। ऐसे चित्त की शक्ति बढ़ जाती है, फिर वह जो भी सोचता है वह घटित होने लगता है। जो लोग दृड़ निश्चिय होते हैं, अनजाने में ही उनकी भी धारणा पुष्ट होने लगती है। धारणा से ही बल समुह में संयम होता है और व्यक्तित्व शक्तिशाली बनता है।