गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By गायत्री शर्मा

सम्मान प्रायोजित नहीं होता

सम्मान दिल से या डर से

सम्मान प्रायोजित नहीं होता -
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सम्मान एक ऐसी चीज है, जिसे प्रायोजित नहीं किया जाता। हर व्यक्ति चाहता है कि वह जिस कार्यक्षेत्र में कार्य करे वहाँ उसे पूरा-पूरा सम्मान मिले।

यदि हम घर-परिवार की बात करें तो हमारे परिवार में भी बहुत सारे सदस्य होते हैं लेकिन उनमें से हर कोई चाहता है कि परिवार में उसके निर्णय व राय का सभी सम्मान करें परंतु यह सब तभी सम्भव हो सकता है, जब आप स्वयं को इतना काबिल बनाएँ कि लोग स्वयं ही आपका सम्मान करने लगें।

सम्मान भी दो प्रकार का होता है- एक तो स्वत: सम्मान होता है और दूसरा डर या खौफ के कारण दिया जाने वाला सम्मान होता है। हमें हमारे आसपास दोनों ही प्रकार के व्यक्ति आसानी से मिल जाएँगे।

कई बार हम लोगों का सम्मान इसलिए करते हैं कि वह हमारे सम्मान के लायक होते हैं। उनमें वह प्रतिभा और काबिलियत होती है कि वे जहाँ भी रहते हैं, सबको अपना बना लेते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति सम्मान के भूखे नहीं होते हैं बल्कि उनके लिए सम्मान नाम का तमगा कोई विशेष अहमियत नहीं रखता है।

दूसरे प्रकार के व्यक्ति वे होते हैं, जिन्हें सम्मान से बहुत लगाव होता है। उनका खौफ ही उतना होता है कि लोग उनके डर से या अपनी नौकरी बचाने के भय से उनका सम्मान करते हैं। ऐसा सम्मान कभी दिल से किया गया सम्मान नहीं होता है। इसे प्रायोजित सम्मान कहते हैं, जिसका सीधा अर्थ है- दूसरों के मुख से स्वयं को सर्वश्रेष्ठ कहलाना।

ऐसा करके वे लोगों का झूठा सम्मान तो पा लेते हैं परंतु लोगों के दिलों में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं। यही कारण है कि ऐसे लोग अपने अधीनस्थों में कानाफूसी का विषय बनते हैं।

आजकल हमारे राजनेता जनता को मूर्ख बनाने के लिए यही तो करते हैं। अपने गिने-चुने कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर जनता को मूर्ख बनाना और उनसे झूठा सम्मान पाना, यही उनकी फितरत होती है। यह प्रायोजित सम्मान का ही एक प्रकार है।

जिंदगी के अनुभवों के अलावा शिष्टाचार, विनम्रता और आपकी उत्कृष्ट कार्यशैली आपको लोगों के सम्मान के काबिल बनाती है। हमेशा ऐसा बनो कि लोग आपकी हमेशा दिल से तारीफ करें।

कभी ऐसे मत बनो कि आपकी बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ व उनके साथ आपका अहंकार ही आपकी पहचान बने बल्कि सदा ऐसे बनो कि आपके ज्ञान के साथ आपका विनम्र व्यवहार भी आपकी पहचान बने। आपके मुख से निकले दो मीठे बोल ही किसी को अपना बनाने के लिए काफी हैं।