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Written By ND

तो आप...क्या कहना चाहती थीं?

तो आप...क्या कहना चाहती थीं? -
- श्याम याद
ND
यह सच है कि मन में आ रहे विचारों को यदि व्यक्त न किया जाए तो वे विचार मन को अशांत करते रहते हैं। मन में आने वाले विचारों को व्यक्त करने से मन थोड़ा हल्का भी हो जाता है। क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है कि आपने अपने दिल की बात उजागर करना चाहीहो और आप वह किसी के समक्ष कह ही नहीं पाई हों। फिर उस बात को न कह पाने का अफसोस ता-उम्र आपको सालता रहा हो।

ऐसा होता है अनेक बार। जब आप इस तरह की परिस्थितियों का शिकार हो जाती हैं और इसके कारण आपको खामियाजा भी भुगतना पड़ता है, वह भी ऐसा जिसकी भरपाई होना संभव नहीं हो पाता। अधिकांशतः महिलाएँ स्वभाव से संकोची होती हैं। भले ही उन्हें बातूनी कहा जाए, पर वे अक्सर अपनी बातें उचित समय और स्थान पर कहने से चूक जाती हैं। ऐसे में निम्न बिंदुओं पर अमल करना चाहिए

क्या कहना है
आप क्या कहना चाहती हैं, पहले इस बात पर विचार कर लें। जो बात आप कहना चाह रही हैं क्या उस बात का इतना महत्व है कि वो बात कहना जरूरी है। महत्वहीन बात कहकर आप अपना महत्व कम न करें। हो सकता है कि आप ऐसी कोई बात भी कह दें जिसके फलस्वरूप आप हँसी का पात्र बन जाएँ। इसलिए जो भी कहना है उसे पहले आँक लें। वो कहावत याद है ना, मुँह से कही गई बात और धनुष से छोड़ा गया तीर छूटने के बाद वापस नहीं आता और शब्दों के बाणों से हुए घाव तीर से भी ज्यादा घातक होते हैं।

सही समय पर कहें
आप जब यह निर्धारित कर लें कि आपको क्या कहना है तो फिर ये निर्धारित करें कि अपनी बात को कैसे और किस समय कहना ठीक होगा। आपकी बात ठीक होते हुए भी कई मर्तबा इसलिए बेअसर हो जाती है कि वह समय उस बात को कहने के लिए उचित नहीं होता। उचित समय पर अपनी बात कहें तो वो ज्यादा प्रभाव छोड़ती है

प्रभावी ढंग से
अपनी बात को कहने के लिए जोर-जोर से चिल्लाएँ नहीं। जोर-जोर से चिल्लाने से न तो आप अपनी बात को सही ढंग से कह पाएँगे, न आपकी बात का कोई प्रभाव सामने वाले पर होगा। इससे आपकी छवि भी सामने वाले की निगाह में सकारात्मक नहीं बनेगी। बात शालीनता के साथ प्रभावी ढंग से कहें जिससे बात का वजन भी बढ़ेगा

कैसे कहें
हर बात कहने का भी अपना तरीका है। सबके बीच में चिल्लाकर कहने से आपकी बात बेअसर हो सकती है। अपनी बात को स्पष्ट रूप से साफ-साफ कहें। घुमा-फिराकर कहने से बात का अर्थ कई बार बदल जाता है

बिचौलिया न रखें
साफ-साफ आप खुद अपनी बात कह सकें इसके लिए किसी की आवश्यकता ही क्यों महसूस हो। बिचौलिए के रहने से अनेक बार वो बात नहीं आ पाती जो आप कहना चाहती हैं। वहीं हो सकता है बिचौलिया व्यक्ति आपका विश्वस्त न हो, ऐसे में बात और बिगड़ सकती है।

याद रखिए बड़ा ही आसान है अपनी बात कहना। जो भी कहना है कह डालें, मन में न रखें। मन की बात मन में रखकर कई बार पछताना भी पड़ता है। कम से कम इस बात का गम तो नहीं रहेगा कि मैंने यह बात कही होती तो अच्छा होता।