शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नायिका
  4. »
  5. नायिका स्पेशल
Written By WD

फिर उम्मीदें लेकर आया है नया साल

नए साल के जन्म पर बधाई

फिर उम्मीदें लेकर आया है नया साल -
- साधना सुनील विवरेकर

ND
ND
नया वर्ष, नई उम्मीदों, आशाओं व खुशियों की दस्तक देने को है। हम पुराने वर्ष की खट्टी-मीठी यादों को अतीत में ढकेल नए वर्ष का स्वागत करने को आतुर हैं। हर सुसंस्कृत व शिक्षित व्यक्ति चाहता है कि उसका शहर सुव्यवस्थित व सुंदर, साफ-सुथरा हो।

सारे नेता यही आश्वासन देते हैं कि वे आपके शहर को देश का उत्कृष्ट शहर बनाएँगे। सारे प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यभार ग्रहण करते ही यही उम्मीद बँधाते हैं कि शहर में अमन-शांति व भाईचारे का राज्य स्थापित होगा। फिर क्या कारण है कि कहीं कुछ विशेष बदलाव नहीं आता और फिर हर नया साल दिन-महीनों की गिनती में गुम हो जाता है।

नए वर्ष में हर व्यक्ति चाहे वह छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर, स्त्री हो या पुरुष, नेता हो या सामान्य नागरिक, अधिकारी हो या व्यापारी, डॉक्टर हो, इंजीनियर हो या प्रोफेसर सब अपने-अपने कार्य को पूर्ण ईमानदारी से करते हुए कुछ छोटे-छोटे एहतियात बरतें, कुछ प्रयास करें, कुछ गलत बातों के विरोध में संगठित हों, आवाज बुलंद करें तो शहर के गली-मोहल्ले, कॉलोनियों को सुव्यवस्थित किया जा सकता है व शहर का रंगरूप निखारा जा सकता है। क्या हम इतना कर सकते हैं कि :-

अपनी कॉलोनी की सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। कचरे का ढेर लगा, गंदगी न फैलाएँ व कचरा उठवाने की व्यवस्था करें।

चाहे जहाँ न थूकें।

पॉलीथिन का उपयोग कम से कम करें। बाहर जाते या सब्जी खरीदते समय कपड़े की थैली साथ ले जाएँ।

घर के कचरे में से पॉलीथिन, काँच व अन्य घातक वस्तुएँ अलग करें।

सब्जी, भाजी व अन्य खाद्य पदार्थों का कचरा अलग रख जानवरों को खिलाएँ या संभव हो तो गड्ढा खोदकर उसमें डालें, खाद बनाएँ।

घर के पानी की निकासी की व्यवस्था इस प्रकार करें कि वह पानी बगीचे के उपयोग में आए।

अपना वाहन गलत जगह पार्क न करें। थोड़ा चलना पड़े तो हर्ज नहीं, लेकिन वाहन पर बैठे-बैठे या दुकान के सामने वाहन खड़ा कर सब्जी व अन्य खरीददारी करने को अपना अधिकार न समझें।

चलती गाड़ी में से थूककर अपना स्तर न गिराएँ।

टू व्हीलर हो या फोर व्हीलर चलती गाड़ी पर मोबाइल पर बात करना शान न समझें।

कहीं पहुँचने की अति शीघ्रता में उल्टे-सीधे तरीके से गाड़ी न दौड़ाएँ। न ही हमेशा ओवरटेक कर स्वयं को बुद्धिमान समझने की भूल करें।

अपने स्वार्थ के लिए पेड़-पौधों को न उखाड़ें।

अपने घर का कुछ हिस्सा पेड़-पौधे लगाने के लिए रखें।

होटल में खाना उतना ही ऑर्डर करें जितना आवश्यक हो। यदि बच जाए तो बिना शर्म के पैक करवा लें व जिससे कि घर पर उपयोग में आ सके या गरीब को खिलाएँ।

सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान कतई न करें। पार्टी हो या घर शराब पीकर अनियंत्रित न हों।

विशेषकर पुरुष वर्ग चाहे जहाँ गाड़ी खड़ी कर चलते रास्ते को बाथरूम न समझें।

कार्यस्थल पर तंबाकू या पान खाकर अपनी असभ्यता का प्रमाण न दें।

घर हो या कार्यस्थल कहीं कुछ गलत हो रहा हो तो केवल पीठ पीछे चर्चा कर समय नष्ट करने की बजाए संगठित हो विरोध दर्ज करने का साहस दिखाएँ।

कहीं कोई काम करवाना हो तो निश्चित समय सीमा की जानकारी लें व धैर्य रखें। पैसा देकर जल्द काम व गलत काम करवाने की प्रवृत्ति ही भ्रष्टाचार को जन्म देती है।

आए दिन होने वाले हादसों, चोरी, डकैती इत्यादि से सीख लें। कुछ एहतियात बरतें, घर में बहुत से जेवर, पैसा, सोना-चाँदी न रखें। अनजान व्यक्तियों को घर में सहज न आने दें। दिखावा न करें। अपनी कॉलोनी की सुरक्षा स्वयं संगठित हो सुनिश्चित करें।

सड़कों पर गलत तरीके से पार्क किए हुए ट्रक हों, सड़कें बदहाल व जगह-जगह से खुदी हो, कार्य समय सीमा में पूर्ण न हो, लोगों को मूलभूत सुविधाएँ पानी, बिजली, राशन सब यथासमय न मिले, कॉलोनियों में बगीचों का ठीक से रखरखाव न हो, सड़क किनारे लगे पेड़ सूख रहे हों, बस्तियों में गंदगी की वजह से महामारी फैले, अस्पतालों में दवाओं की समुचित व्यवस्था न हो तो हम नागरिक नेताओं व प्रशासन के ध्यान में ये बातें लाएँ। यह कर्तव्य हमारा है। तभी स्वच्छ, सुंदर, सुरक्षित, खुशहाल शहर का स्वप्न साकार होगा। इतना तो हम कर ही सकते हैं। पृथ्वी बचाने के प्रयास की यह प्रथम कड़ी होगी।

अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए अपने-अपने रीति-रिवाजों व परंपराओं को मान देने के साथ हम सभी धर्मों का सम्मान करें व अपने बच्चों को भी यही सिखाएँ।

सबसे महत्वपूर्ण है दिल में शहर, प्रदेश व राष्ट्र के प्रति अपनत्व व प्रेम का जज्बा। जब हम अपने मोहल्ले, शहर, प्रदेश व देश को अपना समझेंगे, तभी इसकी फिजाँ बिगड़ने नहीं देंगे व हर हाल में प्रयास करेंगे कि यह एक सुव्यवस्थित, सुंदर, स्वच्छ व अनुशासित शहर बने। विकास का हर द्वार यहीं खुले। नए वर्ष का यह संकल्प हमें आने वाले वर्षों के गौरव का कारण बनाएगा।