इच्छा पूरी नहीं हो सकी तो शारदा ने घर और खेती के कामों में मन लगा लिया। परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई विजयसिंह और तीन बहनें कस्तूरी, बतूल तथा सुमित्रा हैं। राधा, रुकमा, मोजम, कमला और संगीता शारदा की अच्छी सहेलियाँ हैं और अब तो शारदा इनकी ही नहीं, हम सबकी भी "नायिका" बन गई है। कितना अच्छा हो कि इस साहसी लड़की की पढ़ने और आगे बढ़ने की इच्छा भी पूरी हो जाए! इसके लिए हमारी दुआएँ उसके साथ हैं।
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