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Written By Naidunia
Last Modified: रतलाम , शुक्रवार, 2 मार्च 2012 (00:43 IST)

निजी संस्था से प्रशिक्षणतो सरकारी नौकरी नहीं

निजी संस्था से प्रशिक्षणतो सरकारी नौकरी नहीं -
शासकीय प्रशिक्षण संस्थाओं के अतिरिक्त अन्य किसी भी संस्था से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की शासकीय चिकित्सालयों में भर्ती पर रोक लगा दी गई है।


गत 14 फरवरी को लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. केएल साहू ने यह आदेश जारी किया है। इससे प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज व अन्य निजी संस्थाओं में स्वास्थ्य कार्यकर्ता का प्रशिक्षण ले रहे हजारों विद्यार्थियों को सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में नौकरी नहीं मिल सकेगी।


राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संयुक्त संचालक डॉ. साहू ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को फरमान भेजा है कि आरसीएच-एनआरएचएम (रिप्रोडक्टिव चाईल्ड हेल्थ- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन) के अंतर्गत वार्षिक कार्ययोजना में स्वीकृत पदों पर केवल शासकीय प्रशिक्षण केन्द्र से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता को ही नियुक्ति दी जाए।


प्रदेश में 35, संभाग में 3

प्रदेश में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के शासकीय प्रशिक्षण केन्द्र 35 व उज्जैन संभाग में मात्र 3 स्थानों पर हैं। 18 माह की प्रशिक्षण अवधि वाले पाठ्यक्रम संभाग में देवास, उज्जैन व मंदसौर के केन्द्रों पर संचालित हैं। रतलाम जिले में शासकीय प्रशिक्षण केन्द्र तो नहीं है, लेकिन निजी केन्द्र जावरा में 1 और रतलाम में 2 हैं। प्रदेश के सभी निजी मेडिकल कॉलेज व 35 नर्सिंग कॉलेजों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चल रहा है। निजी प्रशिक्षण संस्थाओं में इसकी फीस 70 हजार से 1 लाख रु. तक है।


इनके अपने नियम हैं यहाँ

ताजा आदेश केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के वर्ष 2007 के इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड रूल्स (आईपीएचएससी) से परे हैं। 2007 के नियमों के अनुसार प्रत्येक 20 बेड पर दो स्वास्थ्य कार्यकर्ता होना आवश्यक है। शासकीय प्रशिक्षण केन्द्रों में सीटों की संख्या निश्चित होती है। ऐसे में निजी प्रशिक्षण केन्द्र से प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के बिना इतने स्वास्थ्य कार्यकर्ता जुटाए ही नहीं जा सकते।


मापदंडों का पालन

डॉ. साहू ने बताया कि निजी संस्था से प्रशिक्षण लेने वालों को शासकीय सेवा में नहीं लेने के उनके आदेश नए नहीं हैं। यह शासन की नीति का हिस्सा है। शासकीय प्रशिक्षण केन्द्रों में शासकीय मापदंडों का पालन होता है।


नियम-विरुद्ध है यह आदेश

'पूर्व में पुरुष नर्स को और अब निजी प्रशिक्षण केन्द्रों से प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता को शासकीय नौकरी पर प्रतिबंध लगाया जाना गैरकानूनी है। हमारी संस्था इसके विरुद्ध न्यायालय में जाएगी।' -डॉ. राजेश शर्मा, वाइस प्रेसीडेंट, एमपी प्राइवेट प्रोफेशनल कॉलेज एसोसिएशन