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Written By Naidunia
Last Modified: नीमच , शनिवार, 26 नवंबर 2011 (23:09 IST)

प्रकृति के साथ आयुर्वेद का समन्वय लाभकारी

प्रकृति के साथ आयुर्वेद का समन्वय लाभकारी -
आयुर्वेदिक चिकित्सा अमृत है तो प्राकृतिक चिकित्सा उसके प्राण हैं। नियमित योग से शारीरिक व्याधियाँ मिटती हैं। प्रकृति के साथ ही आयुर्वेद का समन्वय शरीर के लिए लाभकारी है। योग दर्शन, आत्म अवलोकन का बेहतर माध्यम है।


उक्त विचार मंगनलाल रतनदेवी मांगलिक भवन मैदान पर प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग शिविर के पाँचवें दिन योगाचार्य प्रो. सुरजीतसिंह सलूजा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि योग का प्रमुख अंग आसन है। आसनों की साधना करना अर्थात विशेष लक्ष्य की प्राप्ति करना है। प्राकृतिक चिकित्सक गोविंद तनवानी ने भी ध्यान के आसनों की महत्ता बताई। आरोग्य केंद्र भोपाल के चिकित्सक डॉ. कुशल बच्चानी ने रोगियों का परीक्षण कर उपचार किया। उन्होंने संतुलित आहार की विधि बताई।


डॉ. महेश शर्मा ने भाप स्नान करवाया। डॉ. हर्षदराय त्रिवेदी ने कमर दर्द में मालिश की विधि बताई। शिविर में प्रतिदिन महिला-पुरुष मिट्टी लेप, भाप स्नान, कटि स्नान, मालिश, जल नेति, सहित योग का प्रशिक्षण ले रहे हैं। शिविर में प्रतिदिन अंकुरित आहार एवं आयुर्वेदिक प्रज्ञा पेय चाय का वितरण भी किया जा रहा है।


निःशुल्क योग व उपचार आज

शिविर में रविवार सुबह 6 बजे से निःशुल्क योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की जाएगी। योग के गुर भी सिखाए जाएँगे। सचिव विवेक खंडेलवाल ने बताया कि भोपाल के वरिष्ठ चिकित्सकों के मार्गदशर्न में योग, परामर्श, उपचार किया जाएगा। प्रातः 8 बजे स्वस्थ जीवन जीने की कला विषय पर व्याख्यान होंगे। मिट्टी लेप, कटि स्नान, भाप स्नान, कटि स्नान, मालिश, नेति, मिट्टी व पानी की पट्टी, एक्यूप्रेशर आदि उपचार किया जाएगा। शिविर स्थल पर ही दोपहर 2 बजे तक पंजीयन किया जाएगा। -निप्र