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Written By Naidunia
Last Modified: झाबुआ , शनिवार, 7 अप्रैल 2012 (22:49 IST)

झाबुआ बस स्टैंड पर समस्याओं का डेरा

झाबुआ बस स्टैंड पर समस्याओं का डेरा -
स्थानीय बस स्टैंड पर अव्यवस्थाओं ने डेरा डाल रखा है। यहाँ प्रतिदिन 140 यात्री बसें आती-जाती हैं और 5 हजार से अधिक लोग यात्रा करते हैं। गर्मी अपना असर जोरो से दिखा रही है किंतु यात्रियों के लिए पेयजल की यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है। केवल एक हैंडपंप है किंतु उसके आसपास इतनी गंदगी है कि वहाँ कोई जाता ही नहीं है। अतिक्रमण की भी भरमार है। पूछताछ खिड़की नहीं होने से बसों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिलती है।


स्थानीय बस स्टैंड वर्ष 1974 में अस्तित्व में आया था। उस समय यहाँ की आबादी करीब 8 हजार थी। अब यहाँ की आबादी 40 हजार है, लेकिन व्यवस्थाएँ वही 40 साल पुरानी हैं। यात्रियों की संख्या बढ़ने और ठेला व्यवसाय में वृद्घि होने से उक्त स्थल भी छोटा पड़ने लगा है। करीब 200 ऑटो रिक्शा चलते हैं और लगभग इतनी ही संख्या में व्यापारियों ने यहाँ अपना कारोबार फैला रखा है।


चारों ओर फैली गंदगी

बस स्टैंड पर चारों ओर गंदगी फैली नजर आती है। इसमें यात्रियों का बहुत बड़ा हाथ है। वाहन बेतरतीब तरीके से खड़े रहते हैं। यात्री प्रतीक्षालय जरूर बन गया है, लेकिन वहाँ गंदगी के कारण यात्री बैठना कम ही पसंद करते हैं। मवेशी चारो ओर बेरोकटोक घूमते नजर आते हैं।


शराबियों का उत्पात

देशी-विदेशी शराब की दुकानें बस स्टैंड के नजदीक ही हैं। इस कारण शराबियों का उत्पात यहाँ आए दिन होता रहता है। रात को यहाँ अँधेरा होने से महिलाओं को यहाँ हमेशा खतरा बना रहता है।


पेयजल व्यवस्था नहीं

भीषण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है लेकिन बस स्टैंड पर अब तक पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। सक्षम यात्री तो होटलों से खरीदकर पानी पी लेते हैं परंतु आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता है। वे पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं।


एकांकी मार्ग बनाएँ

बस चालक नगीन भाई कहते हैं कि पिछले तीस वर्षों में बस स्टैंड बहुत अधिक भीड़ वाला हो गया है। ऑटो एवं जीपें भी खूब चलने लगी हैं। पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से अफरा-तफरी मची रहती है। बस स्टैंड के प्रवेश द्वार मिशन स्कूल वाले मोड़ पर सीधे गाड़ी लाने में बहुत दिक्कतें आती हैं। यहाँ एकांकी मार्ग बनाया जाना चाहिए। बस परिचालक रईस खान का कहना है कि अतिक्रमण की वजह से बसों को निकलने में दिक्कतें आती हैं।


काम का नहीं प्रतीक्षालय

राकेश परमार का कहना है कि यात्री प्रतीक्षालय में कोई बैठना पसंद नहीं करता है, क्योंकि वहाँ गंदगी अधिक रहती है। यात्रियों को इन दिनों सबसे अधिक पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि गर्मी अपने तेवर दिखा रही है।


काम का नहीं हैंडपंप

विपिन चौहान का कहना है कि कहने को बस स्टैंड पर एक हैंडपंप है लेकिन वह कोई काम का नहीं है। यात्रियों को वह नजर ही नहीं आता है और वहाँ गंदगी अधिक होने से जाने की भी इच्छा नहीं होती है।


निराकरण करेंगे

सीएमओ रविश श्रीवास्तव का कहना है कि वे समस्याओं को दिखवा लेते हैं। पार्किंग एवं अन्य समस्याओं के संबंध में शीघ्र ही उचित निर्णय लेकर कार्य करवाया जाएगा।