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Written By भाषा
Last Modified: लंदन (भाषा) , शनिवार, 3 जनवरी 2009 (14:09 IST)

ब्रिटिश सेना सीख रही है कबड्डी

ब्रिटिश सेना सीख रही है कबड्डी -
सेना में भर्ती के लिए एशियाई समुदाय को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सेना इन दिनों भारत का लोकप्रिय पारंपरिक खेल कबड्डी सीख रही है।

कबड्डी खिलाड़ियों का एक दल प्रायः अभ्यास के लिए विल्टशायर के लार्कहिल स्थित व्यायामशाला में जुटता है।

इस टीम ने हाल ही में इटली की एक कबड्डी टीम को पराजित किया और जल्द ही इसके भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के खिलाफ खेलने की संभावना है।

नब्बे के दशक में चैनल फोर के एक वृत्तचित्र के माध्यम से कबड्डी को पहली बार ब्रिटेन में प्रवेश मिला था। पुलिस बलों सहित कई विभागों में इसे तेजी से समर्थन मिलने लगा।

भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक अशोकदास इस टीम के कोच हैं। खिलाड़ियों से अंग्रेजों की एक एकीकृत टीम तैयार होगी जो इस खेल में भारतीय वर्चस्व को चुनौती देगी।

दास ने द टाइम्स से कहा कि समस्या यह है कि कुछ खिलाड़ियों को कभी- कभी इराक या अफगानिस्तान भेज दिया जाता है।

दास ने सैन्य भर्ती अधिकारियों को इस बात पर राजी किया कि कबड्डी टीम सेना में एशियाई समुदाय की भर्ती के लिए अच्छा हथियार साबित हो सकती है। इस टीम का जुलाई 2007 में पहली बार गठन किया गया।

इस खेल को देखने वाले सैन्य भर्ती के उपप्रमुख कर्नल पाल फरार ने कहा कि यह एक बहुत अच्छा खेल है। इसे ब्रिटिश सेना को गंभीरता से लेना चाहिए।

लार्कहिल स्थित शाही शस्त्रागार के 14वीं रेजीमेंट के सेकंड लेफ्टिनेंट निक बर्डिक को टीम को एकजुट करने का जिम्मा दिया गया है।

बर्डिक ने कहा कि इस खेल का नाम यदि मर्डरबाल या बुलडाग होता तो टीम बनाने में अधिक आसानी होतीलेकिन अंत में ऑफिस से निकलने के बाद उन्होंने कुछ सैनिकों को अपने साथ लिया और कहा कि ये कबड्डी टीम में शामिल होंगे।