हिंदू सनातन धर्म के धर्मग्रंथ वेद और इतिहास ग्रंथ पुराण में उल्लेखित महत्वपूर्ण बातों के बारे में संक्षिप्त में अंकों के माध्यम से बताए जा सकने वाले प्रमुख क्रम की जानकारी, जिसे जानकर हो सकता है कि आपका भ्रम दूर हो।
अंक 11- *ग्यारह रुद्र : महान, महात्मा, गतिमान, भीषण, भयंकर, ऋतुध्वज, ऊर्ध्वकेश, पिंगलाक्ष, रुचि, शुचि तथा कालाग्नि रुद्र।- यह भी अतिति के पुत्र है। इसमें कालाग्नि रुद्र ही मुख्य है।
अंक 12- *बारह आदित्य : ब्रह्मा के पुत्र मरिचि, मरिचि के कश्यप, और कश्यप की पत्नी अदिति, अदिति के आदित्य (सूर्य) कहलाए जो इस प्रकार है- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषन, भग, मित्र, वरुण, वैवस्वत और विष्णु। यह बारह ही बारह मास के प्रतिक है।
*सूर्य की बारह कला : तपिनी, तापिनी, ध्रूमा, मारिचि, ज्वालिनी, रुचि, सुक्षमन, भोगदा, विश्वा, बोधिनी, धारिणी और क्षमा।
*चौदह मनु : ब्रह्मा के पुत्र स्वायंभुव, अत्रि के पुत्र स्वारोचिष, राजा प्रियव्रत के पुत्र तापस और उत्तम, रैवत, चाक्षुष, सूर्य के पुत्र श्राद्धेदंव (वैवस्वत), सावर्णि, दक्षसावर्णि, ब्रह्मसावर्णि, ब्रह्मसावर्णि, धर्मसावर्णि, रुद्रसावर्णि, देवसावर्णि, चंद्रसावर्णि। मनुओं के नाम पर मनवंतर के नाम रखे गए हैं।
*चौदह इंद्र : स्वर्ग पर राज करने वाले चौदह इंद्र माने गए हैं। इंद्र एक पद का नाम है किसी व्यक्ति या देवता का नहीं। इंद्र एक काल का नाम भी है- जैसे 14 मनवंतर में 14 इंद्र होते हैं। 14 इंद्र के नाम पर ही मनवंतरों के अंतर्गत होने वाले इंद्र के नाम भी रखे गए हैं।
प्रत्येक मनवंतर में एक इंद्र हुए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि।
अंक 16- *सोलह श्रृंगार : उबटन लगाना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, मांग भरना, महावर लगाना, बाल संवारना, तिलक लगाना, ठोढी़ पर तिल बनाना, आभूषण धारण करना, मेंहदी रचाना, दांतों में मिस्सी, आंखों में काजल लगाना, इत्र आदि लगाना, माला पहनना, नीला कमल धारण करना।
*चंद्र की सोलह कला : अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण और पूर्णामृत।
अंक 33- *तैसीस देवता : 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और इंद्र व प्रजापति नाम से तैंतीस संख्या देवताओं की मानी गई है। प्रत्येक देवता की विभिन्न कोटियों की दृष्टि से तैतीस कोटि (करोड़) संख्या लोक व्यवहार में प्रचलित हो गई। जो लोग 33 करोड़ या 36 करोड़ देवी-देवताओं के होने की बात करते हैं वे किस आधार पर करते हैं यह नहीं मालूम।
अंक 49- रुद्रदेव के पुत्र 49 मरुद्गण : मरुत अर्थात पहाड़। मरुद्गण का अर्थ मरुतों के गण। गण याने देवता। चारों वेदों में मिलाकर मरुद्देवता के मंत्र 498 हैं। यह भी उलेखित मरुतों का गण सात-सात का होता है। इस कारण उनको 'सप्ती' भी कहते हैं।
7-7 सैनिकों की 7 पंक्तियों में ये 49 रहते हैं। और प्रत्येक पंक्ति के दोनों ओर एक एक पार्श्व रक्षक रहता है। अर्थात् ये रक्षक 14 होते हैं। इस तरह सब मिलकर 49 और 14 मिलकर 63 सैनिकों का एक गण होता है। 'गण' का अर्थ 'गिने हुए सैनिकों का संघ'। प्रत्येक के नाम अलग अलग होते हैं।
अंक 59- ब्रह्मा के पुत्र : विष्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्ट, प्रचेता, हंस, यति। कुल 59 पुत्र। इति।