याद आते रहे, दिल दुखाते रहे
रोहित जैन याद आते रहे, दिल दुखाते रहेवो रह रह के हमको सताते रहेशक्ल अपनी ही लगने लगी अजनबीआईने उलझनों को बढ़ाते रहेवो नज़रें झुकाने की उनकी अदाहम फ़रेबेमोहब्बत खाते रहेजिस से गुज़रे थे हम सैकड़ों मर्तबाहमारी मंज़िल वहीं वो बताते रहेऐसा छाया अंधेरों का हम पर सुरूरशम्मेदिल रात दिन हम जलाते रहेसाहिलेज़ीस्त पर ग़म की लहरों के बीचनाम उसका हम लिखते मिटाते रहेतीरगी ऐसी फैली है हदेनिगाहरंग ख़्वाबों से भी अपने जाते रहेकैसी दुनिया बनाई है तूने ख़ुदाकैद कैसी है जिसको निभाते रहेदुश्मनों से मोहब्बत सी होने लगीदोस्त ऐसे हमें आज़माते रहेहमको आया ना 'रोहित' नुमाइशेज़ख़्मखुद ही रोते रहे समझाते रहे। शम्मेदिल - दिल का मोमबत्ती की तरह जलना तीरगी - अँधेरा हदेनिगाह - जितनी दूर तक निगाह जा सकेनुमाइशेज़ख़्म - जख्मों का दिखावा