शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By ND

संत घासीदास की तपोभूमि

संत घासीदास की तपोभूमि -
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सतनाम पंथ के प्रवर्तक व महान समाज सुधारक संत गुरु बाबा घासीदास की तपोभूमि अब पहले से ज्यादा मनमोहक हो गई है। राज्य सरकार ने यहाँ 14 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य कराए हैं, वहीं कुतुबमीनार से ऊँचे जैतखाम का निर्माण किया गया है। पवित्र धाम के निर्माणधीन जैतखाम में विश्व शांति का संदेश देने के लिए श्वेत पताका फहराया जाएगा।

नायाब संरचना : ऐतिहासिक कुतुबमीनार की ऊँचाई 237.8 फीट है, जबकि निर्माणधीन जैतखाम उससे 6 फीट अधिक ऊँचा बनेगा। आधुनिक इंजीनियरिंग का यह नायाब उदाहरण होगा। इसमें 51 करोड़ 43 लाख रुपए की लागत आएगी। जैतखाम की डिजाइन आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने तैयार की है। इसे भूकंप रोधी और अग्निरोधी बनाया जा रहा है। गिरौधपुरी धाम में दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु निर्माण प्रक्रिया को उत्सुकतापूर्वक देख रहे हैं। निर्मित जैतखाम से छत्तीसगढ़ सहित देश का गौरव बढ़ेगा।

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बदली तस्वीर : ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार गुरु बाबा घासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को गिरौदपुरी में हुआ था। युवावस्था से ही उन्होंने गिरौदपुरी के जंगलों में कठोर साधना की। लगभग 74 वर्ष पहले जगदगुरु गद्दीनशीन अगमदास की पहल से पवित्र धाम में मेले की शुरुआत की गई।

पहाड़ी स्थित मुख्य मंदिर और मेला परिसर में प्रकाश की व्यवस्था की गई है। मेला परिसर में हजारों की संख्या में पौधरोपण कराया गया है। मुख्य मंदिर में हाईमास्क लाइट लगाने के साथ दूरस्थ अंचलों से आए यात्रियों के ठहरने के लिए 9 विशाल यात्री शेड और प्रतीक्षालय बनाए गए हैं। 2004 से जारी विकास कार्यों में सड़क, मेला स्थल, चरणकुंड का विद्युतीकरण किया गया है।

गिरौदपुरी बस्ती से मंदिर प्रवेश द्वार तक आकर्षक ग्लो साइन बोर्ड लगाया गया है। यहॉँ 55 लाख रुपए की लागत से विश्राम गृह, सिविक सेंटर में अतिरिक्त कमरों का निर्माण, हाईस्कूल का निर्माण कराया गया, वहीं मेला परिसर, महाराजी से पंचकुंडी, छाता पहाड़ तक 1 करोड़ 87 लाख की लागत से क्राँक्रीटीकरण सड़क बनाए गए हैं।