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Written By WD

फर्शी है या स्टेथस्कोप

एड्स जैसे लाइलाज रोग ठीक करने का दावा

फर्शी है या स्टेथस्कोप -
-श्रुति अग्रवाल
हमारा देश भारत कई गूढ़ विद्याओं वाला देश है। यहाँ तंत्र-मंत्र और जड़ी-बूटियों से कई असाध्य बीमारियों को ठीक करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन हर बार ये दावे सच नहीं होते। देखा जाए तो अक्सर ढोंगी बाबा लाइलाज बीमारियों से परेशान बेबस मरीजों को ठग कर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। आस्था और अंधविश्वास की कड़ी में हम आपकी मुलाकात ऐसे ही एक बाबा से करा रहे हैं जो पत्थर की एक फर्शी और कुछ जड़ी-बूटियों की मदद से एड्स, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं। अब यह असली है या ठग इसका फैसला आपके ऊपर है... हम आपको हमारी मुलाकात का आँखों देखा हाल बता रहे हैं।

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त्र्यंबक यात्रा के दौरान हमने सुना नासिक-त्र्यंबक रोड पर रघुनाथ दास नामक बाबा का आश्रम है। इन्हें लोग ‘फर्शी वाले बाब’ के नाम से बुलाते हैं। इनका दावहै कि ये आपके सिर पर सिर्फ एक फर्शी रखकर आपकी बीमारी बता सकते हैं। वो भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि कैंसर और एड्स जैसी लाइलाज बीमारी। इसके साथ ही वे इन लाइलाज बीमारियों को ठीक करने का दावा भी करते हैं। हमने सोचा इस बार उनके इस दावे को आजमा लिया जाए...

Shruti AgrawalWD
हम तड़के ही रघुनाथ बाबा के आश्रम पहुँचे। आश्रम में बड़ा सा हॉल था। इस हॉल में सैकड़ों लोग कतार लगाकर बैठे थे....वहीं एक दीवान पर 40-45 साल की उम्र के व्यक्ति मरीज के सिर पर फर्शी रखकर कुछ बोल रहे थे...पास ही बैठे कुछ लोग मरीजों के लिए दवाई लिख रहे थे।

हम कुछ नजदीक गए और यहाँ का नजारा देख कर चौंक गए। रघुनाथ दास नामक यह व्यक्ति किसी भी मरीज के सिर पर फर्शी रखने के बाद “तुम्हारा बल्ड शुगर कम हो गया है काउंट इतने-इतने के बीच ह” से लेकर “बीपी इतने से इतने के बीच है’’ आदि बताते हुए मरीज को कैंसर है या एड्स या ट्यूमर आदि बता रहे थे।

लेकिन खेल तो अभी शुरु हुआ था ... कुछ देर बाद ही कतार में बैठे एक मरीज ने एक कपड़ा बाबा के सामने रख दिया। बाबा ने झट से कपड़े के ऊपर फर्शी रखी और बीमार का हाल बताने लगे। फिर एक मरीज ने अपनी बीवी का फोटो दिखाकर उसका हाल पूछा। बाबा ने फर्शी फोटो पर रखी और बीमारी के बारे में भी सब बता दिया।

फर्शी वाले बाबा पर आरोप-
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने फर्शी वाले बाबा पर आरोप लगाया है कि वे प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं। उन्होंने 21 अप्रैल 2006 इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

काफी देर तक यह सिलसिला चलता रहा...लोग आते गए बाबा उनके, मरीज के कपड़े के और फोटो के ऊपर फर्शी रखकर उसका हाल बताते रहे। हमने बाबा के सहयोगियों से बाबा से मुलाकात करवाने की इच्छा जाहिर की।

इन लोगों ने हमसे कहा- आप बगीचे में चलिए बप्पा (बाबा को इसी संबोधन से पुकारते हैं) वहीं आ जाएँगे। रघुनाथजी के बगीचे में कई तरह की औषधियों के पौधे लगे थे वहीं कई तरह के कैक्टस भी लगाए गए थे। हम बगीचा निहार ही रहे थे कि रघुनाथ दास वहाँ आ गए। रघुनाथ दास ने हमें बताया कि वे जड़ी-बूटियों से दवाइयाँ तैयार करते हैं। इन दवाइयों से एड्स और कैंसर के रोगी भी ठीक हो सकते हैं।
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हमने जब फर्शी का राज पूछा तो रघुनाथजी ने कहा- यह मेरे गुरु का आशीर्वाद है। मैं लंबे समय तक वनवासियों के बीच रहा हूँ उन्हीं लोगों से मैंने कई दुर्लभ जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी प्राप्त की है जिसका मैं इलाज के दौरान उपयोग करता हूँ। जब हमने उनसे पूछा कि यदि उनके दावे में सचाई है तो वे अपनी जानकारी को पेटेंट क्यों नहीं कराते? अपने दावों को सरकारी मदद से पुष्ट करने की कोशिश अभी तक क्यों नहीं की गई? हमारे इन सवालों को वे अपनी गोल-मोल बातों में टालने की कोशिश करते रहे।

रघुनाथजी का कहना था कि वे कैक्टस से एक ताबीज बनाते हैं जो रोगी की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है वहीं वे जो आयुर्वेदिक दवाइयाँ देते हैं वे रोगी के रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं।

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रघुनाथजी से बातचीत करने के बाद हमने यहाँ आने वाले मरीजों से उनके यहाँ आने का कारण पूछा। अधिकांश मरीज यहाँ पहली बार ही आए थे। पहचान छुपाने के वादे के बाद मुंबई से आए एक युवा ने बताया कि उसे एड्स है। वह जानता है कि यह एक लाइलाज बीमारी है लेकिन मेरे एक दोस्त ने बताया था कि बप्पाजी के पास इसका इलाज है इसलिए आया हूँ। उम्मीद पर दुनिया टिकी है बस मैं भी उम्मीद की डोर बाँधे यहाँ आया हूँ।

इस युवक की ही तरह बालाजी शेखावत, ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित अपनी बच्ची का इलाज कराने यहाँ आए थे। बालाजी ने हमें बताया कि उनकी कंपनी में काम करने वाले एक व्यक्ति को भी डॉक्टर ने ब्रेन ट्यूमर बताया था, यहाँ से इलाज कराने के बाद वह बिलकुल ठीक हो गया। अब हम भी इसी उम्मीद में आए हैं कि हमारी बच्ची ठीक हो जाए।

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इसी उम्मीद के सहारे हजारों लोग रघुनाथजी के आश्रम में आए थे। लेकिन हमने अपनी जाँच-पड़ताल के दौरान कुछ अजीब सी बातें देखीं जैसे रघुनाथजी का दावा था कि सत्तर के आँकड़े के बेहद करीब हैं और अभी भी चालीस-पैंतालीस के लगते हैं जबकि उनके बड़े बेटे ने कुछ समय पहले ही बीस का आँकड़ा पार किया है। वहीं यहाँ आने वाले हर मरीज को एक सी दवाई दी जा रही थी। अब जो दवा अस्थमा ठीक कर सकती है, वह कैंसर या एड्स कैसे ठीक करेगी? इसका जवाब उनके या उनके सहयोगियों के पास नहीं था। इसी तरह तेल और तावीज भी एक ही सा दिया जा रहा था जिसे देखकर लग रहा था कि यहाँ भी भोले-भाले लोगों को ठगने का गोरखधंधा ही चल रहा है।

आखिर क्या है मामला ?
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने फर्शी वाले बाबा के ऊपर आरोप लगाया है कि वे प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं... फिर कैसे लोगों का उपचार कर रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य को लेकर 21 अप्रैल 2006 में फर्शी वाले बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी लेकिन इस पर अभी तक कोई करावाई नहीं हुई है।
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इस संबंध में उन्होंने हाल ही में नासिक के आयटक हॉल में एक पत्रकार वार्ता आयोजित की थी। इस पत्रकार वार्ता में डॉ. दभोलकर कहा कि, त्र्यंबकेश्वर में रहने वाले फर्शी वाले बाबा भोले-भाले लोगों को फँसाकर उन्हें दिग्भ्रमित करते हैं। इसी मामले में उनके खिलाफ 21 अप्रैल 06 को त्र्यंबकेश्वर तहसील के स्वास्थ अधिकारी डॉ. राजेंद्र जोशी ने मामला दर्ज किया था। एफआईआर को एक साल और तीन महीने पूरे होने बावजूद कोई भी कारवाई नहीं की गई। अब उनकी समिति ने इस बाबद प्रशासकीय स्तर पर आंदोलन करने का निर्णय किया है।