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मुनिश्री अनुकम्पा सागर समाधिस्थ

- विनोद अग्रवाल

मुनिश्री अनुकम्पा सागर समाधिस्थ -
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जैन मुनि अमित सागर महाराज के शिष्य मुनिश्री अनुकम्पा सागर (84) ने 21 फरवरी, मंगलवार को शाम 7 बजे डबरा के पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सराफा बाजार में समाधि ले ली। यह ग्वालियर जिले में पहला मौका है जब किसी जैन मुनि ने समाधि ली है।

बताया गया है कि मुनि अनुकम्पा सागर अपने गुरु अमित सागर के संघ में भिण्ड से चातुर्मास सम्पन्न कर सोनागिर जा रहे थे। जहां 27 फरवरी को उन्हें मुनि दीक्षा समारोह में सम्मलित होना था। वे भिण्ड से पैदल चलकर ग्वालियर होते हुए मंगलवार दोपहर डबरा आए थे।

उनका यहां रात्रि विश्राम था और बुधवार को उनको सोनागिर के लिए निकलना था। शाम 7 बजे जब वे मुनियों के साथ दिगंबर जैन मंदिर में बैठे थे तभी उनका प्राणांत हो गया और वे उसी अवस्था में बैठे रह गए।

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उनका प्राणांत होने के बाद मंदिर में महामंत्र णमोकार का जाप प्रारंभ कर दिया गया। बुधवार को प्रातः नौ बजे सकल जैन समाज द्वारा श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सराफा बाजार से मुनिश्री की मोक्ष यात्रा प्रारंभ की, जो शहर के मुख्य मार्ग से होती हुई, ग्वलियर झांसी रोड पर स्थित अरूण जैन की भूमि पर पहुंची, जहां उन्हें समाधिस्थ किया गया।

मुनिश्री अनुकम्पा सागर ने मुनि दीक्षा सन् 1995 में मुनिश्री अमित सागर से ग्रहण की थी। उनका जन्म टुंडला (आगरा) में हुआ था। बचपन से ही उनके संस्कार धार्मिक थे। जीवों के प्रति दया, करूणा का भाव उनके रोम-रोम में समाया था।

पांचवीं तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उनका सम्पूर्ण जीवन आत्म कल्याण में लगा रहा। मुनि काल में उन्होंने 15 समाधियां कराईं।