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Written By भाषा
Last Modified: मुंबई , बुधवार, 5 जनवरी 2011 (22:43 IST)

लश्कर के सहयोगी हैं फहीम, सबाउद्दीन

निकम ने कहा- दोनों 26/11 में सह-साजिशकर्ता

लश्कर के सहयोगी हैं फहीम, सबाउद्दीन -
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विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने मुंबई हमलों के लिए फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को ‘सह-साजिशकर्ता’ करार देते हुए आज बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि निचली अदालत ने इन दोनों को संदेह का फायदा देते हुए इस मामले में बरी करार देकर भूल की।

निकम ने 21 परिस्थितियों का जिक्र कर यह साबित करने की कोशिश की कि फहीम और सबाउद्दीन के लश्कर-ए-तैयबा के नेता अबू कफा और जकी उर रहमान लखवी से किस कदर करीबी संबंध थे तथा इन दोनों ने उनके निर्देश पर इस हमले को अंजाम देने में मदद पहुँचाई थी।

निकम ने कहा कि फहीम और सबाउद्दीन ने मुंबई के उन स्थलों का नक्शा बनाया था, जिसे इस हमले के दौरान निशाना बनाया गया। उन्होंने इस नक्शे को पाकिस्तान स्थित लश्कर को मुहैया किया, जिसने मुंबई हमले को अंजाम दिया।

फहीम ने जाली दस्तावेजों के जरिये एक नवंबर 2007 को एक पाकिस्तानी पासपोर्ट हासिल किया था। उसे एक अन्य मामले में उत्तरप्रदेश में गिरफ्तार किए जाने के बाद इस पासपोर्ट को उसके पास से जब्त कर लिया गया था।

निकम ने बताया कि इस पासपोर्ट में मौजूद फहीम की तस्वीर और विवरण से यह पता चलता है कि उसने 15 नवंबर 2007 को कराची छोड़ दिया था और इसी दिन नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुँचा था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सरकार ने इस बात की पुष्टि की है कि वह उनके देश में रहा था।

इसके कुछ ही दिन बाद फहीम ने दिसंबर 2007 में मुंबई की यात्रा की और साहिल पवास्कर के काल्पनिक नाम के साथ एक कंप्यूटर संस्थान में दाखिले की कोशिश की थी।

निकम ने दलील दी कि वह इसी नाम से दक्षिण मुंबई के एक मकान में किराए पर रहा था। हालाँकि मुंबई के उपनगरीय इलाके में उसका अपना एक मकान है, जहाँ उसका परिवार रहता है।

उन्होंने बताया कि फहीम मुंबई में तीन जनवरी 2008 तक रहा था और दोबारा नेपाल गया। चार जनवरी 2008 से एक फरवरी 2008 के बीच फहीम के एक करीबी मित्र नूरुद्दीन शेख ने उससे काठमांडू में मुलाकात की। शेख ने यह देखा कि फहीम ने मुंबई हमलों के लक्षित स्थलों के नक्शे सबाउद्दीन को दिए।

इसके बाद निकम ने कहा कि इनमें से एक नक्शा हमले के दौरान मारे गए आतंकवादी अबू इस्माइल की जेब से बरामद किया गया। इस पर न्यायमूर्ति रंजना देसाई और आरवी मोरे ने पूछा कि इस्माइल की जेब से बरामद किए गए नक्शे में फिर खून के धब्बे क्यों नहीं थे।

इसके जवाब में निकम ने कहा कि इस्माइल के शरीर के बाएँ हिस्से में गोली लगी थी, जबकि नक्शा उसकी दाईं जेब में पाया गया। बहरहाल, निकम ने कहा कि हालाँकि उसकी दाईं जेब के कोने पर खून के धब्बे थे, लेकिन रक्त की बूँदें इसके अंदर नहीं गई थीं।

नक्शे पर मुड़ने के निशान नहीं होने के बारे में निकम ने कहा कि इसे स्वीकार करना अतार्किक है, जबकि कोई भी व्यक्ति नक्शे को मोड़े जाने के निशान की उम्मीद कर सकता है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में नक्शे को मोड़ा गया था, लेकिन इस पर मोड़ने के निशान नहीं पड़े। उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए कागज दो टुकड़ों का भी इस्तेमाल किया। (भाषा)