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Written By WD

मुंबई में प्रभु जोशी के चित्रों को गुलजार ने सराहा

मुंबई में प्रभु जोशी के चित्रों को गुलजार ने सराहा -
मुंबई। ख्यात साहित्यकार, कथा लेखक और चित्रकार प्रभु जोशी की कला प्रदर्शनी इन दिनों मुंबई के मशहूर जहांगीर आर्ट गैलरी में लगी हुई है और शुक्रवार के दिन प्रसिद्ध गीतकार व फिल्म निर्माता गुलजार ने इसका अवलोकन किया। यह लगातार पांचवां साल है, जबकि प्रभु जोशी के चित्रों को जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किया जा रहा है और इसे खासा प्रतिसाद भी मिल रहा है। यह एकल प्रदर्शनी 10 अक्टूबर तक रहेगी।
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गुलजार और प्रभु जोशी की मित्रता 70 के दशक की है। ख्यात साहित्यकार कमलेश्वर और गुलजार प्रभु जोशी के निवास पर तब पहली बार पहुंचे थे, जब फिल्म 'आंधी' का निर्माण चल रहा था। गुलजार और कमलेश्वर तब देवास उनके निवास आए थे जब उनकी कहानियों की पूरे साहित्य जगत में धूम थी। यही कारण रहा कि शुक्रवार को गुलजार प्रदर्शनी देखने और प्रभु जोशी से मिलने से वे खुद को रोक नहीं पाए। उनकी प्रदर्शनी में जाने माने उद्योगपति अंबानी बंधु भी उनकी प्रदर्शनी का अवलोकन कर चुके हैं।

12 दिसंबर, 1950 को देवास (मध्यप्रदेश) जिले के पिपलरांवा गांव में जन्‍मे प्रभु जोशी ने पहले इंदौर आकाशवाणी को प्रोग्राम एक्‍जीक्‍यूटिव के रूप में अपनी सेवाएं दीं और फिर दूरदर्शन से इसी पद से सेवानिवृत्ति ली। हिन्‍दी साहित्य की नामी पत्रिका 'सारिका' में जब उनकी कहानी 'पितृऋण' प्रकाशित हुई तो काफी चर्चित हुई और फिर देश की कई पत्रिकाओं ने इसका प्रकाशन किया। साप्ताहिक हिन्दुस्तान और धर्मयुग पत्रिका के दौरा में प्रभु जोशी की कहानिया खूब छपती थी। पहली कहानी 1973 में धर्मयुग में प्रकाशित हुई।

प्रभु जोशी का पहला कहानी संग्रह 'किस हाथ से' के प्रकाशन के पश्चात दो अन्य संग्रह 'प्रभु जोशी की लंबी कहानियां' और 'उत्तम पुरुष' का प्रकाशन हुआ। जहांगीर आर्ट गैलरी में तो उनके चित्रों का प्रदर्शन होता ही रहा है, साथ ही साथ अमेरिका में फोर्ट ऑफ आर्ट गैलरी के अलावा जापान में भी उनकी चित्रकला की प्रदर्शनी लग चुकी है। जब अमेरिका में उनकी चित्र प्रदर्शनी लगी थी, तब वहां के कलाप्रेमियों ने प्रभु जोशी को 'भारत का पिकासो' की उपमा दी थी। इसके बाद देश के कई हिस्सों में उनके चित्रों को प्रदर्शनी के रूप में सराहा गया।

सम्मान : भारत भवन का चित्रकला तथा मप्र साहित्य परिषद का कथा-कहानी के लिए अखिल भारतीय सम्मान मिल चुका है। साहित्य के लिए मप्र. संस्कृति विभाग द्वारा गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप। भारत भवन का शीर्ष पुरस्कार, आकाशवाणी के सोलह राष्ट्रीय पुरस्कार।

लिंसिस्टोन तथा हरबर्ट में ऑस्ट्रेलिया के त्रिनाले में चित्र प्रदर्शित। गैलरी फॉर केलिफोर्निया (यूएसए) का जलरंग हेतु थॉमस मोरान अवार्ड। ट्वेंटी फर्स्ट सेन्चरी गैलरी, न्यूयॉर्क के टॉप सेवंटी में शामिल।

बर्लिन में संपन्न जनसंचार के अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में ऑफ्टर आल हाऊ लांग रेडियो कार्यक्रम को जूरी का विशेष पुरस्कार धूमिल, मुक्तिबोध, सल्वाडोर डाली, पिकासो, कुमार गंधर्व तथा उस्ताद अमीर खां पर केंद्रित रेडियो कार्यक्रमों को आकाशवाणी के राष्ट्रीय पुरस्कार।

'इम्पैक्ट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऑन ट्रायबल सोसायटी' विषय पर किए गए अध्ययन को 'आडियंस रिसर्च विंग' का राष्ट्रीय पुरस्कार।

प्रभु जोशी ने अपने जीवनकाल में दो टेलीफिल्मों का निर्माण भी किया। उनमें से एक 'दो कलाकार' को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला, जो मन्नू भंडारी की कथा पर आ‍धारित थी। इससे पहले इंदौर आकाशवाणी के लिए जो प्रोग्राम उन्होंने बनाए थे, उनके कार्यक्रमों को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। (वेबदुनिया न्यूज)