शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. प्रादेशिक
Written By भाषा
Last Modified: पूर्णिया , रविवार, 8 अगस्त 2010 (22:53 IST)

जहाँ ‘डोली टैक्स’ दिए बिना नहीं उठती डोली

जहाँ ‘डोली टैक्स’ दिए बिना नहीं उठती डोली -
बिहार के पूर्णिया प्रमंडल के कटिहार जिले में एक गाँव ऐसा भी है, जहाँ रंगदारों को ‘डोली टैक्स’ दिए बिना विवाह बाद लडकियों की डोली नहीं उठती।

कटिहार के मनिहारी थाना अंतर्गत इस गाँव का नाम है चिमूरतल्ला है और वहाँ विवाह के बाद लड़कियों की डोली तभी उठने दी जाती है, जब विवाहित कन्या के अभिभावक रंगदारों को ‘डोली टैक्स’ चुका देते हैं। बिना टैक्स चुकाए यदि वैवाहिक रस्म पूरी कर दी गई तो उस परिवार और उनके संबंधियों की खैर नहीं।

क्षेत्र के पुलिस अधिकारी ने भी कहा कि उन्हें भी ऐसा कर वसूले जाने की सूचना मिली है जिसकी छानबीन की जा रही है।

करियारपुर ग्राम पंचायत के चिमूरतल्ला गाँव में गत 14 जुलाई की रात आदिवासी समुदाय से आने वाले स्वर्गीय सरजू मंडल की पुत्री पुतुल की शादी हुई थी और उसके परिवार के लोगों ने गरीबी के कारण रंगदारी के रूप में डोली टैक्स की निर्धारित रकम चुकाने में जब असमर्थता जताई तो रंगदारों ने उनके घर में घुसकर तांडव मचाया और गोलीबारी की, जिसमें पुतुल की नानी भज्जो देवी की मौत हो गई। नानी अपनी नवविवाहित नातिन को बचाने आई थीं और रंगदारों की गोली का शिकार हो गई।

पुतुल की माँ सतमा बताती हैं कि रंगदारों के इस गिरोह के सरगना दिलीप मंडल ने उनसे दो हजार रुपए और लड़के पक्ष वालों से पाँच हजार रुपए के साथ-साथ शराब और मुर्गा खरीदने के लिए अलग से पैसे की माँग की थी।

सतमा ने कहा कि वे गरीब हैं बहुत मुश्किल से शादी का खर्च जुटा पाए थे, ऐसे में रंगदारों को कहाँ से इतनी बडी राशि दे पाते। उन्होंने बताया कि उन्होंने थाने में जाकर इस घटना की जानकारी दी जिसके बाद पुलिस के दबाव में दिलीप मंडल ने कटिहार के मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी के समक्ष गत दो अगस्त को आत्मसर्मपण कर दिया।

मनिहारी अनुमंडल के पुलिस अधिकारी सुबोध विश्वास डोली टैक्स वसूले जाने की पुष्टि तो करते हैं पर इसे छानबीन का विषय भी बताते हैं। विश्वास कहते हैं कि इस मामले की छानबीन की जा रही है तथा अन्य आरोपियों को पकडने के लिए छापेमारी की जा रही है।

चिमूरतल्ला गाँव की एक अन्य महिला बसंती देवी बताती हैं कि उन्होंने अपनी दो बेटियों की शादी तो डोली टैक्स चुका कर कर दी, लेकिन उनकी दो बेटियाँ और हैं जिनकी शादी को लेकर वे चिंतित रहती हैं।

बसंती बताती है कि उनका एक दामाद शादी के वक्त डोली टैक्स नहीं चुका पाया और बाद में दे देने का वादा किया था, जिसे अब तक नहीं दे पाने के कारण रंगदारों के डर से वह ससुराल नहीं आता।

उसी गाँव के एक अन्य व्यक्ति राजेश मंडल बताते हैं कि रंगदार गाँव के लोगों की आर्थिक हैसियत के मुताबिक डोली टैक्स की माँग करते हैं और यह रकम पाँच हजार रुपए से लेकर 35 हजार तक की होती है। (भाषा)