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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 8 अगस्त 2010 (23:00 IST)

जदयू को मोदी और वरुण मंजूर नहीं

जदयू को मोदी और वरुण मंजूर नहीं -
जदयू ने यहाँ आयोजित अपनी दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर रविवार ऐलान किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ ‘पुरानी व्यवस्था’ कायम रहेगी और नरेन्द्र मोदी तथा वरुण गाँधी जैसे हिन्दुत्व के चेहरे चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेंगे।

पार्टी के अध्यक्ष और राजग संयोजक शरद यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न होने के बाद कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ सीटों के बँटवारे और प्रचार की पुरानी व्यवस्था कायम रहेगी।

उनसे सवाल किया गया था कि क्या गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने जाएँगे। यह सवाल दोहराए जाने पर उन्होंने अपना जवाब भी दोहरा दिया कि प्रचार की पुरानी व्यवस्था कायम रहेगी।

गौरतलब है कि राज्य के पिछले विधानसभा और लोकसभा के लिए 2009 में हुए चुनावों में नीतीश कुमार की आपत्ति के कारण मोदी बिहार के चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हुए थे। भाजपा सांसद वरुण गाँधी के चुनाव प्रचार में शामिल होने की संभावना को भी यादव ने यह कह कर खारिज कर दिया, ‘कौन वरुण गाँधी?’

बिहार में बदलते राजनीतिक और जातिगत समिकरणों के बीच यादव ने कहा कि राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव समीकरण की राजनीति की बजाय समूची जनता को साथ लेकर चलने के आधार पर लड़े जाएँगे। अगड़ी जातियों में खासा प्रभाव रखने वाले जदयू के प्रमुख नेता प्रभुनाथसिंह के लालू प्रसाद के नेतृत्व वाले राजद में चले जाने और ललनसिंह के कांग्रेस में जाने की तैयारियों के चलते चुनाव में राजग गठबंधन की संभावनाओं को ठेस पहुँचने की आशंका से उन्होंने इनकार किया।

उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य दिलाना मुख्य मुद्दों में शामिल होगा। जदयू अध्यक्ष ने कहा कि प्रभुनाथ तो पिछले एक साल से ही मन से वहाँ थे, अब शरीर से भी चले गए। यह पूछे जाने पर कि ललनसिंह क्या जदयू के साथ हैं, उन्होंने कहा कि यह तो आप उन्हीं से पूछिए।

बहरहाल, राजग संयोजक ने विश्वास जताया कि इन सब घटनाक्रमों के बावजूद पिछले साढ़े चार साल के शासन और उस दौरान हुए विकास की बुनियाद पर जनता एक बार फिर नीतीश कुमार को सत्ता में लौटाएगी। उन्होंने कहा कि चुनाव का मुख्य मुद्दा राजग के साढ़े चार साल के शासन में राज्य में हुआ विकास और निभाए गए चुनावी वादे होगा।

अल्पसंख्यकों को रिझाने के प्रयास में यादव ने कहा कि जदयू दलित मुसलमानों को आरक्षण देने के मुद्दे को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि जब हिन्दुओं के बाद सिख और बौद्ध दलितों को आरक्षण का लाभ मिल सकता है तो दलित मुसलमानों को क्यों नहीं।

दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छह प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें संप्रग शासन में भ्रष्टाचार, संघीय ढाँचे का सिकुड़ना, जम्मू-कश्मीर की बिगड़ती स्थिति, नक्सलवाद की विकराल होती समस्या, अप्रभावी होती विदेश नीति और कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था शामिल है। (भाषा)