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Written By वार्ता
Last Modified: जयपुर (वार्ता) , शुक्रवार, 7 नवंबर 2008 (08:24 IST)

एसएमएस का व्यय प्रत्याशी के खाते में

एसएमएस का व्यय प्रत्याशी के खाते में -
राजस्थान में 13वीं विधानसभा के चुनावों में राजनीतिक प्रचार प्रसार के उद्देश्य से जारी एसएमएस संदेश का व्यय संबंधित प्रत्याशी या प्रत्याशियों के खाते में शामिल होगा।

राज्य निर्वाचन अधिकारी विनोद जुत्शी ने बताया कि मतदान के 48 घंटे पहले से राजनीतिक प्रकृति के मोबाइल एमएमएस संदेश जारी करने पर रोक रहेगी।

चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों के लिए जारी निर्देशों के क्रम में जुत्शी ने आज सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बताया कि चुनावों के दौरान आपत्तिजनक तथा आदर्श आचार संहिता तथा चुनाव नियमों की अवहेलना करने वाले मोबाइल संदेश जारी नहीं किए जा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि इस तरह के संदेशों की जानकारी प्राप्त होने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी तथा इस संबंध में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को दिशा-निर्देश प्रेषित किए जा रहे हैं।

बैठक में जुत्शी ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर जारी होने वाले राजनीतिक प्रकृति के विज्ञापन निर्वाचन विभाग द्वारा गठित कमेटी से अनुमोदित कराना होगा।

उन्होंने कहा कि इसके लिए मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को विज्ञापन के अनुमोदन के लिए प्रसारण से कम से कम तीन दिन पहले एवं गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, व्यक्ति या किसी ट्रस्ट के सदस्य सात दिन पहले कमेटी के समक्ष निर्धारित प्रपत्र में विज्ञापन सामग्री की दो प्रतियों में आवेदन करना होगा।

उन्होंने बताया कि आवेदन में विज्ञापन में निर्माण की लागत, प्रसारण पर होने वाले व्यय, प्रसारण अवधि आदि की जानकारी के साथ प्रसारण सामग्री प्रस्तुत करेंगे।

उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति द्वारा राजनीतिक प्रकृति का कोई विज्ञापन प्रसारित करवाने के लिए अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया जाता है तो उसे शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा कि विज्ञापन किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी के लाभ के लिए नहीं है और ना ही किसी दल या प्रत्याशी द्वारा प्रायोजित या कमीशन्ड हैं।

उन्होंने बताया कि दूरदर्शन, निजी चैनल या केबल को विज्ञापन का भुगतान भी चैक या डीडी के माध्यम से ही करना होगा। राजनीतिक दल चैनल या केबल ऑपरेटर अनैतिक, अभद्र, भावुकता, मानसिक आघात पहुँचाने वाला, घृणित और आंदोलित करने वाले विज्ञापन का प्रसारण नहीं कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि इसी तरह से वर्ण, जाति, रंग, धर्म, संप्रदाय एवं राष्ट्रीय भावना का उपहास करने वाले विज्ञापन भी प्रसारित नहीं किए जा सकेंगे।

राजनीतिक प्रकृति के विज्ञापनों के लिए जारी निर्देशों का पालन नहीं करना उच्चतम न्यायालय की अवमानना होगी और नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।