गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

श्रीकृष्ण भगवान का पूजन स्वयं करें

श्रीकृष्ण भगवान का पूजन स्वयं करें -
- प्रस्तुति : डॉ. मनस्वी श्रीविद्यालंका
(क्रियाओं की जानकारी सहित)

NDND
श्रीकृष्ण व्रत-पूजनकर्ता जन्माष्टमी के दिन या जिस भी दिन पूजन करना चाहें, स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें, माथे पर तिलक लगाएँ और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करें। अपनी जानकारी हेतु पूजन शुरू करने के पूर्व प्रस्तुत पद्धति एक बार जरूर पढ़ लें।

पवित्रकरण :
बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं ।

आसन :
निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्‌ ॥

आचमन :
इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें व तीन बार कहें-
1. ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
2. ॐ नारायणाय नमः स्वाहा,
3. माधवाय नमः स्वाहा ।
यह बोलकर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि ।

दीपक :
दीपक प्रज्वलित करें एवं हाथ धोकर दीपक का पुष्प एवं कुंकु से पूजन करें-
भो दीप देवरुपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्यविन्घकृत ।
यावत्कर्मसमाप्तिः स्यात तावत्वं सुस्थिर भव ॥
(पूजन कर प्रणाम करें)

स्वस्ति-वाचन :
निम्न मंगल मंत्र बोलें-
ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
द्यौः शांतिः अंतरिक्षगुं शांतिः पृथिवी शांतिरापः
शांतिरोषधयः शांतिः। वनस्पतयः शांतिर्विश्वे देवाः
शांतिर्ब्रह्म शांतिः सर्वगुं शांतिः शांतिरेव शांति सा
मा शांतिरेधि। यतो यतः समिहसे ततो नो अभयं कुरु ।
शंन्नः कुरु प्राजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः। सुशांतिर्भवतु ॥
ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्ममहागणाधिपतये नमः ॥

(नोट : पूजन शुरू करने के पूर्व पूजन की समस्त सामग्री व्यवस्थित रूप से पूजा-स्थल पर रख लें। पंचामृत में तुलसी की पत्तियाँ मिलाएँ। पंजीरी का प्रसाद बनाएँ। श्रीकृष्ण की तस्वीर (फोटो) को एक चौकी पर कोरा लाल वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें। चौकी को चारों तरफ से केले के पत्तों(खंबे) से सजाएँ। गणेश एवं अंबिका की मूर्ति के अभाव में दो सुपारियों को धोकर, पृथक-पृथक नाड़ा बाँधकर कुंकु लगाकर गणेशजी के भाव से पाटे पर स्थापित करें व उसके दाहिनी ओर अंबिका के भाव से दूसरी सुपारी स्थापना हेतु रखें।

संकल्प :
अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, अक्षत व द्रव्य लेकर श्रीकृष्ण भगवान आदि के पूजन का संकल्प करें-
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयेपरार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलि-युगे कलि प्रथम चरणे जंबूद्वीपे भरतखंडे भारतवर्ष आर्य्यावर्तेक देशांतर्गत (अमुक) क्षेत्रे/नगरे/ग्रामे (अमुक) संवत्सरे, (अमुक)ऋतौ (अमुक) मासानाममासे (अमुक) मासे (अमुक)तिथौ (अमुक)वासरे (अमुक)नक्षत्रे (अमुक)राशि सर्व गृहेषु यथा यथा राशि स्थितेषु सत्सु एवं गृहगुणगण विशेषण विशिष्ठायां शुभ पुण्यतिथौ (अमुक) गोत्रोत्पन्न(अमुक)नाम ( शर्मा/ वर्मा/ गुप्तो दासोऽहम्‌ अहं) ममअस्मिन कायिक वाचिक मानसिक ज्ञातज्ञात सकल दोष परिहारार्थं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्त्यर्थं आरोग्यैश्वर्य दीर्घायुः विपुल धन धान्य समृद्धर्थं पुत्र-पौत्रादि अभिवृद्धियर्थं व्यापारे उत्तरोत्तरलाभार्थं सुपुत्र पौत्रादि बान्धवस्य सहित श्रीकृष्ण,गणेश-अम्बिका आदि पूजनम्‌ च करिष्ये/ करिष्यामि ।

श्रीगणेश-अंबिका पूजन
हाथ में अक्षत व पुष्प लेकर श्रीगणेश एवं अंबिका का ध्यान करें-

श्री गणेश का ध्यान :
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारुभक्षणम्‌ ।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्‌ ॥

श्री अंबिका का ध्यान :
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै प्रणताः स्मताम्‌ ॥
श्रीगणेश अंबिकाभ्यां नमः, ध्यानं समर्पयामि ।
(श्री गणेश मूर्ति अथवा मूर्ति के रूप में सुपारी पर अक्षत चढ़ाएँ, नमस्कार करें।

आह्वान :
अब भगवान गणेश-अंबिका का आह्वान करें-
ॐ गणानां त्वा गणपति(गुँ) हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति(गुँ)
हवामहे, निधीनां त्वा निधिपति(गुँ) हवामहे व्वसो मम ।
आहमजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम्‌ ।
ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन ।
ससस्त्यश्चकः सुभद्रिकां काम्पीलवासिनीम्‌ ॥
ॐ भूभुर्वः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, गौरीमावाहयामि, स्थापयामि पूजयामि च ।
(श्री गणेश व सुपारी पर अक्षत चढ़ाएँ।)
प्रतिष्ठा हेतु निम्न मंत्र बोलकर गणेश व सुपारी पर पुनः अक्षत चढ़ाएँ-
ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ(गुँ) समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयंतामो(गुँ) प्रतिष्ठ ॥ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्ये प्राणाः क्षरन्तु च । अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन ॥ गणेश-अम्बिके! सुप्रतिष्ठिते वरदे भवेताम्‌ । प्रतिष्ठापूर्वकम्‌ आसनार्थे अक्षतान्‌ समर्पयामि गणेशाम्बिकाभ्यां नमः ।

आसन :
(आसन के लिए अक्षत समर्पित करें।)
अब हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलकर जल अर्पित करें-
ॐ देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनोर्बाहुभ्यां पूष्णो हस्ताभ्याम्‌ ।
एतानि पाद्य, अर्घ्य, आचमनीय, स्नानीय, पुनराचमनीयानि समर्पयामि गणेशाम्बिकाभ्यां नमः ।
(जल चढ़ा दें।)

पंचामृत स्नान :
पंचामृत (दूध, दही, शकर, घी, शहद के मिश्रण) स्नान कराएँ :-
पंचामृतं मयानीतं पयो दधि घृतं मधु ।
शर्करया समायुक्तं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि ।
(पंचामृत से स्नान कराएँ।)

शुद्धोदक स्नानं :
शुद्ध जल से स्नान निम्न मंत्र बोलते हुए कराएँ-
गंगा च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदा सिंधु कावेरी स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(शुद्ध जल से स्नान कराएँ।) अब आचमन हेतु जल दें-
शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

वस्त्र एवं उपवस्त्र :
निम्न मंत्र बोलकर वस्त्र व उपवस्त्र अर्पित करें :-
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जायां रक्षणं परम्‌ ।
देहालंकरणं वस्त्रमतः शांति प्रयच्छ मे ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, वस्त्रं समर्पयामि ।
(श्री गणेश-अम्बिका को वस्त्र समर्पित करें।)
यस्या भावेन शास्त्रोक्तं कर्म किंचिन सिध्यति ।
उपवस्त्रं प्रयच्छामि सर्वकर्मोपकारकम्‌ ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि ।
(श्री गणेश-अम्बिका को उपवस्त्र समर्पित करें।)
आचमन के लिए जल अर्पित करें :-
वस्त्र उपवस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ॥
यज्ञोपवीत :
यज्ञोपवीत अर्पित करें-
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्‌ ।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि ।
यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।
(यज्ञोपवीत अर्पित करें एवं आचमन के लिए जल दें।)

नाना परिमल द्रव्य :
अबीर, गुलाल इत्यादि अर्पित करें :-
अबीरं च गुलालं च हरिद्रादिसमन्वितम्‌ ।
नाना परिमल द्रव्यं गृहाण परमेश्वरः ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि ।
(अबीर, गुलाल, पुष्प इत्यादि अर्पित करें।)

धूप :
धूप-बत्ती जलाएँ (हाथ धो लें) व निम्न मंत्र से धूप दिखाएँ :-
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गंध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ऊँ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, धूपं आघ्रापयामि ।
(धूप दिखाएँ व पुनः हाथ धो लें।)

दीप :
एक दीपक जलाएँ। (हाथ धो लें) व निम्न मंत्र से दीप दिखाएँ :-
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजतं मया ।
दीपं गृहाण देवेश त्रेलोक्यतिमिरापहम्‌ ॥
ॐ भूर्भुवः स्व. गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, दीपं दर्शयामि ।
(दीप दिखाएँ व हाथ धो लें।)

नैवेद्य :
मालापुए व अन्य मिष्ठान्न यथाशक्ति अर्पित करें :-
शर्कराखंडखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च ।
आहारं भक्ष्य भोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, नैवेद्यं निवेदयामि ॥
इसके पश्चात जल छोड़ते हुए निम्न मंत्र बोलें :-
ॐ प्राणाय स्वाहा ।
ॐ अपानाय स्वाहा ।
ॐ समानाय स्वाहा ।
ॐ उदानाय स्वाहा ।
ॐ व्यानाय स्वाहा ।
नैवेद्यान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(नैवेद्य निवेदित करें व जल अर्पित करें।)
तांबूल :
इसके पश्चात इलायची, लौंग, सुपारी, तांबूल इत्यादि अर्पित करें :-
पूगीफलं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम्‌ ।
एलादिचूर्णसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, मुखवासार्थम्‌ एलालवंग ताम्बूलं समर्पयामि ॥
(इलायची, लौंग, ताम्बूल आदि अर्पित करें।)

प्रार्थना :
इसके पश्चात गणेश-अम्बिका की प्रार्थना करें-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषताय गौरीसुताय नमो नमस्ते ॥
लम्बोदर नमस्तुभ्यं मोदकप्रिय। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।
सर्वेश्वरी सर्वमाता शर्वाणी हरवल्लभा सर्वज्ञा ।
सिद्धिदा सिद्धा भव्या भाव्या भयापहा नमो नमस्ते ॥

('अनया पूजया गणेशाम्बिके प्रीयेताम्‌' कहकर जल छोड़ दें।)

नोट :- इसके पश्चात (1) कलश पूजन (2) पंचदेव पूजन (3) षोडशमातृका पूजन तथा (4) नवग्रह पूजन किया जाता है। जो लोग यह पूजन करना चाहते हैं, वे यहाँ क्लिक करें। अथवा श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करें।

श्रीकृष्ण पूजन प्रारंभ :
ध्यान :
हाथ में अक्षत लेकर श्रीकृष्ण भगवान का ध्यान करें-
शिखि-मुकुट-विशेषं नील-पद्मांगदेशं
विधुमुख-कृतकेशं कौस्तुभापीत-वेशम्‌।
मधुर-रव-कलेशं शं भजे भ्रातृशेषं
वज्रजन-वनितेशं माधवं राधिकेशम्‌॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें।)
आह्वान :
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्‌ ।
स भूर्मि(गुं) सर्व्वतस्पृत्वाऽत्यतिष्ठद्दशांगुलम्‌ ॥
आगच्छ भगवन्‌! देव! स्थाने चात्र स्थिरो भव ।
यावत्‌ पूजां करिष्येऽहं तावत्‌ त्वं संनिधौ भव ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, ॐ श्रीकृष्णाय आवाहयामि, आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।
(आह्वान के लिए पुष्प अर्पित करें।)

आसन :
अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्‌ ।
भवितं हेममयं दिव्यम्‌ आसनं प्रति गृह्याताम ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आसनं समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें।)

पाद्य :
मनमोहनाय नमस्तेऽतुनरकार्णवतारक ।
पाद्यं गृहाण देवेश मम सौख्यं विवर्धय ॥
ॐ श्री श्रीकृष्णाय नमः, पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।
(पाद्य अर्पित करें।)

अर्घ्य :
गन्धपुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्यं सम्पादितं मया ।
गृहाण भगवन्‌ मुरलीधर प्रसन्नो वरदो भव ॥
ॐ श्री श्रीकृष्णाय नमः, हस्तयोरर्घ्यं समर्पयामि ।
(अर्घ्यपात्र से चन्दन मिश्रित जल श्रीकृष्ण के हाथों में दें।)

आचमन :
कर्पूरेण सुगन्धेन वासितं स्वादु शीतलम्‌ ।
तोयमाचमनीयार्थं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
(कर्पूर से सुवासित जल चढ़ाएँ।)

स्नान :
मन्दाकिन्याः समानीतैः कर्पूरागुरू वासितैः ।
स्नानं कुर्वन्तु देवेशा सलिलैश्च सुगन्धिभिः ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, स्नानीयं जलं समर्पयामि ।
(स्नानीय जल अर्पित करें।)
स्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
('ॐ श्रीकृष्णाय नमः' बोलकर आचमन हेतु जल दें।)
दुग्ध स्नान :
कामधेनुसमुत्पन्नां सर्वेषां जीवनं परम्‌ ।
पावनं यज्ञहेतुश्च पयः स्नानार्थमर्पितम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, पयः स्नानं समर्पयामि । पयः स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(कच्चे दूध से स्नान कराएँ, पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)

दधिस्नान :
पयसस्तु समुद्भूतं मधुराम्लं शशिप्रभम्‌ ।
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, दधिस्नानं समर्पयामि। दधिस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(दधि से स्नान कराएँ, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)

घृत स्नान :
नवनीतसमुत्पन्नं सर्वसंतोषकारकम्‌ ।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, घृतस्नानं समर्पयामि । घृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(घृत स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)

मधु स्नान :
पुष्परेणुसमुत्पन्नं सुस्वादु मधुरं मधु ।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, मधुस्नानं समर्पयामि । मधुस्नानन्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(शहद स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)

शर्करा स्नान :
इक्षुसारसमुद्भूतां शर्करां पुष्टिदां शुभाम्‌ ।
मलापहारिकां दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, शर्करास्नानं समर्पयामि, शर्करा स्नानान्ते पुनः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ।
(शर्करा स्नान कराकर जल से स्नान कराएँ।)
पंचामृत स्नान :
(दूध, दही, घी शकर एवं शहद मिलाकर पंचामृत बनाएँ व निम्न मंत्र से स्नान कराएँ।)
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करयान्वितम्‌ ।
पंचामृतं मयाऽऽनीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि, पंचामृतस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(पंचामृत स्नान व जल से स्नान कराएँ।)

गन्धोदक स्नान :
मलयाचलसम्भूतं चन्दनेन विमिश्रितम्‌ ।
इदं गन्धोदकस्नानं कुंकुमाक्त्तं नु गृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, गन्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(चंदनयुक्त जल से स्नान कराएँ।)

शुद्धोदक स्नान :
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्‌ ।
तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ।
(गंगाजल अथवा शुद्ध जल से स्नान कराएँ।)

आचमन :
पश्चात 'शुद्धोदकस्नानांते आचमनीयं जलं समर्पयामि' से आचमन कराएँ।

श्रीकृष्ण पूजन :
वस्त्र :
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्‌ ।
देहालंकरणं वस्त्रं धृत्वा शांतिं प्रयच्छ मे ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, वस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(वस्त्र अर्पित करें, आचमनीय जल दें।)
उपवस्त्र :
कंचुकीमुपवस्त्रं च नानारत्नैः समन्वितम्‌ ।
गृहाण त्वं मया दत्तं मंगले परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, उपवस्त्रं समर्पयामि, आचमनीयं जलं च समर्पयामि ।
(उपवस्त्र चढ़ाएँ, आचमन के लिए जल दें।)

यज्ञोपवीत :
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्‌ ।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, यज्ञोपवीतं समर्पयामि ।
(यज्ञोपवीत अर्पित करें।)

आचमन :
पश्चात 'यज्ञोपवीतांते आचमनीयं जलं समर्पयामि' से आचमन कराएँ।

चन्दन :
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्‌ ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, गन्धं समर्पयामि ।
(केसर मिश्रित चन्दन अर्पित करें।)

अक्षत :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, अक्षतान्‌ समर्पयामि ।
(कुंकुम युक्त अक्षत चढ़ाएँ। बिना टूटे चावल सात बार धोए हुए अक्षत कहलाते हैं)

पुष्पमाला :
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयाऽऽह्तानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, पुष्पं पुष्पमालां च समर्पयामि ।
(पुष्प तथा पुष्पमालाएँ चढ़ाएँ)
दूर्वांकुर :
दूर्वांकुरान्‌ सुहरितानमृतान्‌ मंगलप्रदान्‌ ।
आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, दूर्वांकुरान्‌्‌ समर्पयामि ।
(दूर्वांकुर अर्पित करें।)

आभूषण :
वज्रमाणिक्य वैदूर्य मुक्ता विद्रूम मण्डितम्‌ ।
पुष्परागसमायुक्तं भूषणं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आभूषणानि समर्पयामि ।
(आभूषण समर्पित करें।)

नाना परिमलद्रव्य :
दिव्यगंधसमायुक्तं नानापरिमलान्वितम्‌ ।
गंधद्रव्यमिदं भक्त्या दत्तं स्वीकुरु शोभनम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि ।
(परिमल द्रव्य चढ़ाएँ)

धूप :
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यः गन्ध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, धूपमाघ्रापयामि ।
(धूप आघ्रापित करें।)

दीप :
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया ।
दीपं गृहाण देवेश ! त्रैलोक्यतिमिरापहम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, दीपं दर्शयामि ।
(दीपक दिखाकर हाथ धो लें।)

नैवेद्य :
(पंचमिष्ठान्न व सूखी मेवा अर्पित करें)
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च ।
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, नैवेद्यं निवेदयामि ।

आचमन :
नैवेद्यांते ध्यानं आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि ।
(नैवेद्य निवेदित कर पुनः हस्तप्रक्षालन के लिए जल अर्पित करें।)
ऋतुफल :
फलेन फलितं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्‌ ।
तस्मात्‌ फलप्रदादेन पूर्णाः सन्तु मनोरथाः ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, ऋतुफलं निवेदयामि। मध्ये आचमनीयं जलं उत्तरापोऽशनं च समर्पयामि ।
(ऋतुफल अर्पित करें तथा आचमन व उत्तरापोऽशन के लिए जल दें।)

ताम्बूल :
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्‌ ।
एलालवंगसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, मुखवासार्थे ताम्बूलं समर्पयामि ।
(लवंग, इलायची एवं ताम्बूल अर्पित करें।)

दक्षिणा :
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, दक्षिणां समर्पयामि ।
(दक्षिणा चढ़ाएँ।)

आरती :
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्‌ ।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भवं ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, आरार्तिक्यं समर्पयामि ।
(कर्पूर से आरती कर जल छोड़ें व हाथ धोएँ।)

प्रदक्षिणा :
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणां पदे पदे ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, प्रदक्षिणां समर्पयामि ।
(प्रदक्षिणा करें।)

मंत्रपुष्पांजलि :
श्रद्धया सिक्तया भक्त्या हार्दप्रेम्णा समर्पितः ।
मंत्रपुष्पांजलिश्चायं कृपया प्रतिगृह्यताम्‌ ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः,मंत्रपुष्पांजलि समर्पयामि ।
(पुष्प अर्पित करें)
नमस्कार :
हाथ जोड़कर बोलें :-
नमः सर्वहितार्थाय जगदाधारहेतवे ।
साष्टांगोऽयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान्‌ समर्पयामि ।
(प्रार्थना करते हुए नमस्कार करें।)

क्षमा-याचना :
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌ ॥
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
ॐ श्रीकृष्णाय नमः, क्षमायाचनां समर्पयामि ।
(क्षमा-याचना करें)

पूजन समर्पण :
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र बोलें :-
'ॐ अनेन यथाशक्ति अर्चनेन श्रीकृष्णाय प्रसीदतुः ॥'
(जल छोड़ दें, प्रणाम करें)
ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु ।

ॐ आनंद ! ॐ आनंद !! ॐ आनंद !!!