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Written By भाषा
Last Modified: पटना , शनिवार, 28 सितम्बर 2013 (19:09 IST)

विवादास्पद अध्यादेश को वापस लिया जाए-नीतीश

विवादास्पद अध्यादेश को वापस लिया जाए-नीतीश -
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पटना। सांसदों और विधायकों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी को सही बताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को उसे वापस लिए जाने का सुझाव दिया है।

यहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल प्रांगण में शनिवार को सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने संबंधी अध्यादेश के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि इसके लिए अध्यादेश लाया जाना उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा है वह ठीक कहा है। ऐसी परिस्थिति में इसे वापस ले लेना चाहिए। नीतीश ने कहा कि अभी कुछ नहीं बिगडा है, क्योंकि राष्ट्रपति की स्वीकृति उक्त अध्यादेश पर अभी नहीं मिली है। ऐसी परिस्थिति में अध्यादेश को वापस ले लेना ही सबसे अच्छा तरीका है।

उन्होंने कहा कि जब भी कानून बनाना हो तो संसद में बहस करके कानून बनाया जाना चाहिए। ऐसी चीजों को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। नीतीश ने कहा कि अनुचित से पीछे हट जाते हैं और अनुचित काम को रोक देते हैं तो इससे प्रतिष्ठा बढ़ती है, घटती नहीं।

उन्होंने कहा कि सचेत होकर कार्य करने से प्रतिष्ठा बढ़ती है। यह विवादित विषय था। इस पर और चर्चा होनी चाहिए थी। नीतीश ने कहा कि इस मामले में पिछले दरवाजे से अध्यादेश के जरिए कानून बनाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए बल्कि सबसे चर्चा कर कानून बनाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी समझ से जब भी कानून बनाने की बात हो तो इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए। देश का जनमत इसके खिलाफ था। सत्तारूढ़ दल के बड़े नेता ने भी इसके विरुद्ध टिप्पणी की है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा मदद पहुंचाने के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों को क्या मालूम कि किसके दबाव में या किस कारण से यह अध्यादेश लाया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के संबद्ध मंत्री ही बता सकते हैं कि ये अध्यादेश किस कारण और किसके दबाव पर लाए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद से राजनीतिक दल के साथ सिविल सोसायटी के लोगों ने भी सरकार की आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार दोषी ठहराए गए सांसदों और विधायकों को बचाने की कोशिश कर रही है।

यह अध्यादेश उन सांसदों और विधायकों को राहत देता है, जो 2 साल या इससे अधिक सजा वाले किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने पर तत्काल अयोग्य घोषित हो सकते थे।

उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यदि किसी सांसद या विधायक को कोई अदालत ऐसे अपराधों के लिए दोषी ठहराती है जिनमें 2 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है तो ऐसे सांसद या विधायक तत्काल अयोग्य हो जाएंगे।

सरकार ने फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका शीर्ष अदालत में इस महीने की शुरुआत में दाखिल की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने नामंजूर कर दिया था। (भाषा)