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Written By भाषा
Last Modified: मुंबई , बुधवार, 27 जुलाई 2011 (23:41 IST)

जब अमिताभ को मिलते थे महीने के 500

जब अमिताभ को मिलते थे महीने के 500 -
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अपने करियर के शुरुआती दिनों में कम वेतन मिलने का रोना रोने वाले लोगों को यह जानकर राहत मिलेगी कि बिग बी को अपनी पहली नौकरी में हर माह मात्र 500 रुपए वेतन मिलता था।

हालांकि 60 के दशक में 500 रुपए की रकम इतनी कम भी नहीं हुआ करती थी। उस समय के कलकत्ता और आज के कोलकाता में उन्होंने बर्ड एंड कंपनी में 500 रुपए महीने की नौकरी की और कटने के बाद 460 रुपए उन्हें मिलते थे।

अमिताभ ने उन दिनों को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘वह भी क्या दिन थे। पहला वेतन और आजाद होने का पहला एहसास...वह दिन कभी नहीं लौटेंगे।’

फिल्म ‘आरक्षण’ के प्रोमोशन के लिए कोलकाता आए अमिताभ ने हिंदी सिनेमा में कदम रखने से पहले अपने जीवन के सात साल इस महान शहर में गुजारे। यहां आने पर अमिताभ ने वह पुराने अड्डे, गलियां और रेस्तरां याद किए। उन्हें यहां के लोग, यहां की आबोहवा और यहां का माहौल सब कुछ याद है और वह हमेशा यहां आने के लिए लालायित रहते हैं।

अमिताभ की दिली इच्छा : रवीन्द्रनाथ टैगोर के एक गाने के लिए अपनी आवाज देने वाले अमिताभ ने उनकी जीवनी पर बनने वाली फिल्म में काम करने की इच्छा जताई है। हालांकि, औपचारिक तौर पर बच्चन से इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया गया है।

जब अमिताभ से पूछा गया कि क्या निर्देशक उज्जल चटर्जी ने टैगोर पर बनने वाली अपनी फिल्म में बतौर मुख्य कलाकार अभिनय करने के लिए उनसे संपर्क किया है तो उन्होंने कहा ‘इस तरह का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है लेकिन मुझे अन्य माध्यमों से इस बारे में सूचना मिली है। गुरुवर टैगोर पर आधारित फिल्म में काम करने की मेरी इच्छा है।

जाति-व्यवस्था में विश्वास नहीं : फिल्म ‘आरक्षण’ में भूमिका निभा रहे अमिताभ बच्चन का कहना है कि वह जाति-व्यवस्था में विश्वास नहीं करते क्योंकि उनका लालन-पालन ऐसे वातावरण में हुआ है, जहां इन चीजों के लिए कोई जगह नहीं थी।

‘आरक्षण’ के बारे में बच्चन ने कहा कि यह फिल्म जाति आधारित आरक्षण के पीछे की राजनीति की पड़ताल करती है और मुद्दा आधारित यह उनकी पहली फिल्म है।

बच्चन ने कहा ‘गरीब, दबे-कुचले और अपनी जाति के कारण प्रभावित होने वाले लोगों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने के मुद्दे पर यह फिल्म आधारित है।’ (भाषा)