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Written By भाषा

आरटीई लागू, शिक्षकों की कमी अहम चुनौती

आरटीई लागू, शिक्षकों की कमी अहम चुनौती -
नई दिल्ली। शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने की मियाद मार्च में खत्म होने के साथ ही देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे लागू कर दिया है लेकिन शिक्षकों की भारी कमी, आधारभूत संरचना एवं स्कूल प्रशासनिक तंत्र के विकास में देरी से इसके उद्देश्यों को हासिल करना अहम चुनौती बन गई है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के 1 अप्रैल 2010 से लागू होने के बाद सभी राज्यों के लिए इसे 3 वर्ष में अधिसूचित करना अनिवार्य बना दिया गया था।

31 मार्च 2013 को इसकी मियाद समाप्त हो रही है और देश के सभी राज्यों ने इस कानून को अधिसूचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में आरटीई से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 35 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 18 ने पाठ्यक्रम सुधार पर अमल किया है। असम, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में अभी पाठ्यक्रम सुधार प्रक्रिया जारी है, वहीं 26 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग गठित किया है।

कुशल शिक्षकों की भारी कमी आरटीई के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। देश के 41 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं। 35 प्रतिशत स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं हैं। 6 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जहां पेयजल सुविधा का अभाव है। (भाषा)