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Written By भाषा

जेआरडी ने दिए भारतीयों के सपनों को पंख

29 नवंबर को पुण्यतिथि पर विशेष

जेआरडी ने दिए भारतीयों के सपनों को पंख -
आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में जेआरडी टाटा का नाम सर्वोपरि है। इसी शख्स ने देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेना टाटा एयरलाइंस शुरू की थी जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमानसेवा एयर इंडिया बन गई। इस कारण उन्हें भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है।

जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 को पेरिस में हुआ। वे रतनजी दादाभाई टाटा व उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता भारत के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे।

जेआरडी की माँ फ्रांसीसी थीं इसलिए उनके बचपन का ज्यादातर वक्त फ्रांस में बीता, इसलिए फ्रेंच उनकी पहली भाषा थी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी की।

जेआरडी पहले शख्स थे जिन्हें वर्ष 1929 में भारत में पहला पायलट लाइसेंस मिला। उड्डयन क्षेत्र की अग्रणी हस्ती लुईस ब्लेरियोट की प्रेरणा से उन्होंने 1932 में भारत की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की। यह 1946 में भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा एयर इंडिया में तब्दील हो गई।

जेआरडी ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। मात्र 34 वर्ष की आयु में वे टाटा संस के चेयरमैन बने। दशकों तक उन्होंने विशालकाय टाटा समूह की कंपनियों का मार्गदर्शन किया।

जेआरडी उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार में सफलता के साथ-साथ उच्च नैतिक मानदंडों को भी कायम रखा। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ। उनके काल में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई। साथ ही टाटा समूह की परिसंपत्ति 62 करोड़ से बढ़कर 10 हजार करोड़ की हो गई।

उन्हें वर्ष 1954 में फ्रांस सरकार ने लेजियन डी ऑनर के खिताब से नवाजा। उन्हें उद्योग तथा राष्ट्र निर्माण में बेहतरीन योगदान के लिए वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जेआरडी का 89 वर्ष की आयु में वर्ष 1993 में जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में निधन हो गया। मरणोपरांत उन्हें पेरिस में दफनाया गया।