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Written By ND

पर्वतों पर बसा 'बेदिनी बुग्याल'

अनछुई हरियाली भरा ट्रैकिंग स्थल

Bedini Bugyal | पर्वतों पर बसा ''बेदिनी बुग्याल''
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'जादू है नशा है, मदहोशियां' इसको भुलाके अब जाएं कहां' ऐसा ही कुछ एहसास 'बेदिनी बुग्याल' आकर लगता है। उत्तराखंड राज्य के नैनिताल जिले के इस मशहूर पर्यटक स्थल 'बेदिनी बुग्याल' की अपनी अलग पहचान है। यहां एक बार आने वाले पर्यटक बार-बार आना चाहते हैं। ट्रैकिंग का शौक रखने वाले लोगों का यह पसंदीदा स्थान है। यहां की पर्वत चोटियां ज्यादातर समय बर्फ से ढंकी रहती हैं। सर्दी के मौसम में तो यहां रास्तों पर भी कई फुट तक बर्फ जम जाती है।

मखमली-अनछुई हरियाली भरी वादियां, पेड़-पौधों के बीच किलकारियां भरते-अठखेलियां करते वन्य जीव, पक्षियों के चहकने की सुरीली आवाज, यहां आने वालों को मदहोश कर देती है। बर्फ से भरी दूर-दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं और शांत वातावरण लोगों के मन को पहली बार में ही भा जाता है।

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गर्मी से निजात दिलाने के लिए यह अच्छी जगह है। 40 डिग्री से ऊपर चल रहे तापमान के मौसम में ठंडक भरे कुछ पल बिताने हो तो बेदिनी बुग्याल का जबाव नहीं।

फरवरी-मार्च के महीने से बर्फ पिघलनी शुरू होती है। तब स्थानीय लोग अपने पालतू पशुओं को चारागाहों में चराने के लिए निकल पड़ते हैं। यहां के दिन मौसम तो सुहाना होता ही है, यहां की रातें गर्मी के मौसम में भी ठिठुरन भरी होती हैं। यहां आने का सही समय मई-जून और सितंबर-अक्टूबर के महीने हैं।

बेदिनी बुग्याल पहुंचने के लिए ग्वालदम से ही ट्रैकिंग शुरू करनी पड़ती है। जो लोग झील किनारे बैठकर आनंद लेना चाहते हैं उनके लिए भी यहां मौका है। मंडोली व वैन के रास्ते में ब्रह्मताल और भैकनताल झीलें भी पड़ती हैं। पानी में खेलने के शौकीन यहां आकर पिंडारी नदी के कल-कल करते स्वच्छ पानी में गोता लगाने के साथ पत्थरों पर बैठकर पानी का आनंद ले सकते हैं।

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बेदिनी बुग्याल तक सड़क नहीं है। अतः पूरा रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है। अतः सैलानियों को यहां आने के लिए अपने साथ गर्म कपड़े, टेंट, ट्रैकिंग शूज, पीने का पानी, पैक खाना और दवाई आदि लेकर चलना चाहिए।

एक बार यहा पहुंचने के बाद आप वापस लौटना नहीं चाहेंगे। कारण है कि वादियों में खिले रंग-बिरंगे फूलों की मदहोश करती खुशबू, दूर तक फैली मुलायम हरी घास की चादरें सैलानियों को मदमस्त कर देती हैं।

यहां पहुंचने के लिए ऋषिकेश या नै‍निताल से मंडोली होते हुए रूपकुंड तक वाहनों से पहुंचा जा सकता है। यहां से आगे का रास्ता पगडंडियों से जुड़ा है।

पूनम