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Written By ND

बावन साल में भी घुटनों के बल

बावन साल में भी घुटनों के बल -
-अनुराग तागड़
शनिवार को मध्यप्रदेश अपना 53 वाँ स्थापना दिवस मना रहा है। इस बार इस दिवस का महत्व इसलिए बढ़ गया है कि प्रदेश के नीति-नियंताओं की चुनाव प्रक्रिया भी आज से प्रारंभ हो चुकी है।

प्रदेश के विकास को लेकर जो सवाल सामने हैं, उन्हें पूछने और उनका स्तर आँकने का इससे मौजूँ वक्त जनता को अगले पाँच सालों में फिर नहीं मिलेगा। यह वक्त है जब जनता विकास की कसौटी पर राजनीतिक दलों और उसके नेताओं को तौले और फैसला करे। बावन साल में भी यह प्रदेश बचपन की अवस्था की तरह घुटनों के बल चलने को मजबूर है।

प्रदेश को विकास के पथ पर ले जाने का दंभ भरने वाले नीति-नियंताओं ने पिछले 52 वर्ष में इसे कहाँ तक पहुँचाया है, इसका अंदाजा मप्र के साथ ही गठित अन्य प्रदेशों आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु के विकास से तुलना कर लगाया जा सकता है।

- पिछड़ापन
अन्य प्रदेश आज जहाँ तकनीकी और आर्थिक समृद्धि की बुलंदियों को छू रहे हैं, वहीं हमारा मध्यप्रदेश अभी भी पिछड़ा प्रदेश के रूप में जाना जा रहा है। कुपोषण, आर्थिक पिछड़ापन, गिरता स्वास्थ्य स्तर, कम साक्षरता और बढ़ते अपराध यहाँ की पहचान बनते जा रहे हैं।

- कुपोषण का दा
देश आजाद होने के 9 वर्षों बाद उसके हृदय स्थल में मध्यप्रदेश का जन्म हुआ। जन्म होते ही इसे कुपोषित राज्य की श्रेणी में रख दिया गया। मजबूरीवश प्रदेश ने यह सहन भी कर लिया, पर प्रदेश के साथ जन्मे उसके अन्य भाइयों को बचपन में ही विकास की घुट्टी पिलाई गई, जबकि मध्यप्रदेश अपने कुपोषण पर काबू नहीं पा सका तथा बचपन से ही जरा कमजोर रहा। इस कमजोरी के कारण उसका लालन-पालन ज्यादा समय पालने में बीता, क्योंकि कमजोरी के कारण वह विकास की राह पर पैदल भी नहीं चल पा रहा था।

- अन्य निकले आगे

खैर, अपने बलबूते पर उसने खड़े होने की हिम्मत जुटाई और नजरें दौड़ाईं तो पता चला कि उसके भाई काफी दूर जा चुके हैं। वर्तमान की बात करें तो प्रदेश भले ही विकास की डींग हाँकता हो, पर असल में उसे भी पता है कि मंजिल अभी दूर है।

प्रदेश ने विकास की गति को थामने के लिए कई बार तेज दौड़ लगाने का प्रयत्न भी किया, पर वांछित फल उसे मिल नहीं पाया।

-प्रति व्यक्ति आय में भी हम अपने भाइयों में सबसे फिसड्ड

प्रति व्यक्ति आय के मामले में ही देखें तो पता चलता है कि हम अपने भाइयों में सबसे फिसड्डी हैं। अन्य भाइयों की प्रति व्यक्ति आय-

पंजाब 30701 रु.
केरल 29693 रु.
तमिलनाडु 25965 रु.
कर्नाटक 23945 रु.
आँध्रप्रदेश 23807 रु.
राजस्थान 15217 रु. और
मप्र की 12566 रु.प्रतिवर्ष है।

इसके अलावा मानव विकास सूचकांक में भी हम सबसे पीछे हैं।
-मानव विकास सूचकांक में देश में
पंजाब दूसरा
केरल पहला
तमिलनाडु तीसरा
कर्नाटक सातवाँ
आँध्रप्रदेश दसवाँ
राजस्थान नौवा
मध्यप्रदेश बारहवा

एक नजर डालते हैं इन भाइयों (राज्यों) की विकासगाथा पर

आँध्रप्रदे
(1) आंध्रप्रदेश में शिक्षा का स्तर यह है कि वहाँ एक वर्ष में 98000 इंजीनियर, 12000 मैनेजमेंट स्नातक तथा 3 लाख 50 हजार अन्य स्नातक होते हैं। यहाँ पर साक्षरता की दर 60.47 प्रतिशत है जिसमें पुरुषों में 70.32 तथा महिलाओं में 50.43 प्रतिशत।

(2) आँध्रप्रदेश रापनि के पास वर्तमान में 19,407 बसें हैं तथा प्रतिदिन लाखों यात्री इसमें सफर करते हैं।

(3) हैदराबाद में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है इसके अलावा विशाखापट्टनम, तिरुपति, राजमुंदरी, वारंगल, विजयवाड़ा, पुट्टपर्थी में भी हवाई अड्डे हैं।

(4) आंध्रप्रदेश में बिजली की समस्या कभी नहीं रही तथा वर्ष 2007 से 2012 के बीच 11987 मेगावॉट बिजली की व्यवस्था पर काम कर रहा है।

(5) 54 एसईजेड का विकास हो रहा है।

(6) ई सेवा की सुविधा है जहाँ पर वन स्टाप सुविधा है राज्य व केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों की सेवाओं की। हैदराबाद में विश्व की कई नामी आईटी कंपनियों के कार्यालय हैं।

पंजा

(1) साक्षरता की दर 69.7 प्रतिशत

(2) पंजाब में 97 प्रतिशत खेती सिंचाई से होती है जबकि देश का आँकड़ा मात्र 41.2 प्रतिशत है।

(3) पंजाब में 600 से ज्यादा मध्यम तथा बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ तथा 204,066 छोटी इकाइयाँ।

(4) पंजाब में सबसे कम गरीबी 6.16 प्रतिशत है।

(5) प्रति वर्ष 3 लाख 60 हजार विद्यार्थी प्राथमिक शालाओं में भर्ती होते हैं तथा 2 लाख 30 हजार आठवीं कक्षा तक पढ़ते हैं।

(6) पंजाब में 205 अस्पताल हैं। वहाँ पर प्रति 1486 लोगों पर एक डॉक्टर है जबकि देश का आँकड़ा प्रति 1605 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर है।

तमिलनाड

(1) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए सबसे पसंद किया जाने वाला राज्य जहाँ पर मात्र 30 दिनों में किसी भी प्रोजेक्ट हेतु अनुमति मिल जाती है।

(2) किसी भी उद्योग के लिए बिजली का खर्च सबसे कम लगता है यहाँ पर

(3) साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत।

(4) मानव विकास सूचकांक में देश में तीसरा स्थान।

(5) औद्योगिक विकास में महाराष्ट्र के बाद स्थान आता है।

(6) अमेरिका, जापान, कोरिया से लेकर ब्रिटेन व अन्य देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहाँ अपने उद्योग लगाए हैं।

कर्नाट

(1) साक्षरता दर 67.04 प्रतिशत।

(2) सड़कों का विकास बीओटी आधार पर-बेंगलुरू तथा मैंगलोर से अंतराष्ट्रीय उड़ानें

(3) 8 लाख से ज्यादा इंटरनेट यूजर

(4) 36 एसईजेड का विकास

(5) 34 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक

(6) 293 अस्पताल जिनमें 176 सरकारी तथा 12 सुपर स्पेश्यालिटी

(7) गाँवों तक फाइबर आप्टिक पहुँचाने की योजना पूर्णता की ओर।

केरल

(1) साक्षरता दर 90.9 प्रतिशत

(2) 727 बड़ी व छोटी औद्योगिक इकाइयाँ, 193,3022 लघु इकाइयाँ

(3) 100 प्रतिशत पहुँच है गाँवों तक सड़कों के माध्यम से

(4) स्वास्थ्य सुविधाएँ अन्य राज्यों से बेहतर

(5) राज्य की 13 प्रतिशत आय पर्यटन से

(6) केरल का गाँव चामरोवट्टम पहला ई गाँव तथा मालपुरम पहला ई जिला देश में।

राजस्था

(1) साक्षरता दर 61.03 प्रतिशत

(2) 19 औद्योगिक क्षेत्रों में जेम्स व ज्वैलरी के अलावा अन्य उद्योग। ग्रेनाइट व मार्बल का सबसे ज्यादा उत्पादन।

(3) पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007 में नई नीति लागू की है।

(4) बिजली के मामले में अभी आत्मनिर्भर नहीं है।

मध्यप्रदे

(1) साक्षरता दर के मामले में हम राजस्थान से थोड़ा आगे हैं दर है 63.74 प्रतिशत।

(2) उद्योगों को आमंत्रित करने के लिए काफी प्रयास किए गए पर परिणाम सिफर रहे। एकेवीएन के माध्यम से औद्योगिक जमीनों का विकास पर अभी भी उद्योगों के आने का इंतजार।

(3) लोक परिवहन के लिए सड़क परिवहन निगम की बजाए निजी बसों पर निर्भरता।

(4) प्रदेश के कई शहर जल संकट का सामना करते हैं।

(5) वर्ष 2006 में सूचना प्रौद्योगिकी नीति की घोषणा पर उसके परिणाम सामने नहीं आए।