एक खत आपके नाम
जीवन के रंगमंच से
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विलास पंडित हे आईपीएल क्रिकेट के धनाढ्य मालिकों, आपकी क्रिकेट के लिए दीवानगी का मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ, मगर ये कुछ दिनों का खेल और इसका जुनून भी कुछ दिनों तक ही सीमित रहता है। मेरी आपसे एक छोटी-सी गुजारिश है कि जब एक-एक बल्लेबाज का एक-एक रन लाखों रुपए का और एक-एक बॉलर की एक-एक गेंद भी उसी कीमत की है, तो इस पर थोड़ा विचार करना भी जरूरी है। क्या इतने पैसों का ऐसा दुरुपयोग जरूरी है? माना कि ये महज चंद घंटों का मजा है, लेकिन क्या ये मजा हमारे देश के भूखे लोगों की भूख से बड़ा है?जरा उन गरीबों के घर में झाँक कर उनकी भी जिन्दगी के असली मैच को देखिए जहाँ सिर्फ दो वक़्त की रोटी के लिए कितने सस्ते में उन्हें ये मैच रोजाना खेलना होता है। माना ये मैच मजा नहीं देता पर इस असली मैच को नजरंदाज करना भी हमारी बड़ी भूल ही कही जाएगी। जहाँ एक-एक गरीब बच्चा दो जून की रोटी का मोहताज हो, वहाँ ऐसे आईपीएल हमारी किस मानसिकता के परिचायक हो सकते हैं? जब देश सर्वोपरि है तो उसके बाद देश का नागरिक भी अपना अस्तित्व रखता है। मगर विडम्बना यह है कि इस पर कोई राजनेता कभी कोई अच्छी पहल नहीं कर सका। आप लोग तो इस बात पर गौर कर ही सकते हैं। क्योंकि आप राजनीतिक मानसिकता तो हरगिज नहीं रखते, मैं इस लायक नहीं हूँ कि आप जैसे विद्वानों को कोई राय दे सकूँ मगर इतनी अपेक्षा तो जरूर कर सकता हूँ कि मेरे इस प्राक्कथन पर गौर जरूर करेंगे।आप जैसे कर्णधारों ने देश की आर्थिक स्थिति को मज़बूत किया है। हमारे देश की गरीबी और बेकारी पर भी आप सोच लें तो निश्चित ही इस देश का थोड़ा बहुत उद्धार तो अवश्य हो सकता है। जिस देश में महँगाई ने उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ रखी हो, वहाँ गरीब किस हाल में होंगे आप निश्चित ही समझ सकते हैं।आप आईपीएल करा सकते हैं तो इन गरीबों के लिए भी कुछ कर सकते हैं। कुछ करेंगे तो आप को इतिहास और ईश्वर दोनों की नज़रों में जो सम्मान मिलेगा, उसका मोल आप स्वयं समझ सकते हैं। केवल एक खिलाड़ी की कीमत पर किसी शहर की चंद बस्तियों पर आप इतना खर्च करेंगे तो निश्चित ही वहाँ के हालात बदल सकते हैं।जब हमारा समाज समृद्ध हो तब यह सारे आईपीएल हमें वो मजा देंगे जिनकी कल्पना आप भी कर सकते हैं। मेरा आप सभी से निवेदन है कि एक बार, सिर्फ एक बार इस पर भी विचार करके जरूर देखें, यकीनन नतीजे बहुत बेहतर हो सकते हैं, कोई गलती हो तो क्षमा चाहूँगा।