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Written By DW

ताज से बिछड़ी यमुना की लहरें

Taj Mahal | ताज से बिछड़ी यमुना की लहरें
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प्यार की अनमोल विरासत ताजमहल के संरक्षण की जिम्मेदारी संभाल रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ही ताज से उसकी ऐसी खूबसूरती छीन ली जो अब शायद ही उसे वापस की जा सके। उसे यमुना की लहरों से दूर कर दिया।

कभी ताज की पिछली दीवार से लगी यमुना की लहरें ताज की खूबसूरती में चार चाँद लगाया करती थीं। एएसआई ने यमुना और ताज के बीच की दूरी को पाटने के बजाए उसे हमेशा के लिए बढ़ा देने का पक्का इंतजाम कर दिया।

हाल ही में ताज परिसर में एक प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी के एक फोटोग्रॉफ से पता चला के जहाँ पर अब एक बागीचा बना हुआ है वहाँ कभी यमुना की लहरें हिलोरें मारती थी। ताज के पीछे की दीवार पर बैठ कर लोग नीचे यमुना में अपना अक्स देखा करते थे। चाँदनी रात में यमुना में ताजमहल को निहारना एक अलग ही अनुभव हुआ करता था। इसी तरह यमुना में नाव पर सवार होकर चाँदनी रात में ताज के दीदार का भी लुत्फ ही अलग था।

लेकिन अब एएसआई ने ताज के पीछे यमुना को पाट कर करीब दस फुट ऊँचा बगीचा तैयार करवा दिया। प्रदर्शनी में लगे एक फोटोग्रॉफ में आज जहाँ बगीचा है वहाँ 1936-37 में मिट्टी और सिल्ट हटाने का कम होता दिखाया गया है। इसी बगीचे ने ताज को यमुना से दूर कर दिया। एएसआई ने इस बगीचे को 2003 में बनवा दिया। इसका नतीजा ये हुआ के ताज के पिछले हिस्से में दो बुर्जियों पर बना एक गेट भी बंद हो गया। इस गेट से बादशाह ताज के उपरी हिस्से में जाया करते थे। यहाँ से चमेली फर्श के लिए सीढ़ियाँ जाती थीं। अब ये सिर्फ तीन फुट नजर आती है। तीन और दरवाजों से पाँच सीढ़ियों का नीचे में बेस है। इस से दो फुट ऊपर की तरफ बैठने के लिए रेड सैंड स्टोन की बेंच थी। अब ये सब मिटटी के नीचे दफन हो गया है।

एएसआई का कहना है के यमुना प्रदूषित होकर दिन पर दिन पतली होती जा रही थी। उसकी और ताजमहल के बीच की दूरी बढ़ती जा रही थी। इस जगह पर गँदगी के ढेर लगा रहता था। चोर उचक्के भी यहाँ टहलते रहते थे इसलिए इस जगह का बगीचे के रूप में इस्तेमाल किया गया। लेकिन ताज परिसर में कुछ बुजुर्ग दुकानदारों का कहना है कि एएसआई को ताज की खूबसूरती खराब करने का हक नहीं है। इस एजेंसी की ख्याल रखना चाहिए के उसे किस कम के लिए यहाँ तैनात किया गया है। एक पुराने दुकानदार जफर के मुताबिक पिछले 50 बरसों में ताज के आसपास इस एजेंसी ने सबकुछ बदल कर रख दिया। ये भी नहीं सोचा कि इससे ताज का नुक्सान होगा।

- सुहेल वहीद, लखनऊ