मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. »
  3. क्रिकेट
  4. »
  5. समाचार
Written By भाषा

अमिताभ, लता और आशा से प्रेरणा लेते हैं सचिन

अमिताभ, लता और आशा से प्रेरणा लेते हैं सचिन -
FILE
दुनिया भर के क्रिकेटरों के लिए आदर्श माने जाने वाले सचिन तेंडुलकर खुद महान अभिनेता अमिताभ बच्चन, सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और आशा भोसले से प्रेरणा लेते हैं। तेंडुलकर ने कहा कि ये तीनों कलाकार जिस उर्जा और जुनून से अपने काम को अंजाम देते हैं, वह प्रेरणादायी है।

उन्होंने कहा मुझे अलग अलग स्रोतों से प्रेरणा मिलती है। एक प्रभावी संबोधन या ग्रैंड स्लैम फाइनल में बेहतरीन टेनिस भी मुझे प्रेरित कर सकता है। कुछ महान लोगों का काम के प्रति जुनून देखकर भी मैं प्रेरित होता हैं। इसमें लताजी और आशाजी शामिल हैं।

ND
उन्होंने कहा हाल ही में मैने आशाजी को गाते सुना। 75 बरस की उम्र में जिस तरह से वह गाती है, हैरतंगेज है। इस उम्र में भी वह अपने गाने का पूरा मजा लेती है। उनकी ऊर्जा अविश्वसनीय है। कोलकाता के पत्रकार गौतम भट्टाचार्य की किताब ‘सच’ में तेंडुलकर के हवाले से कहा गया मैं अमिताभ बच्चन की फिल्मों का दीवाना हूँ। खासकर ‘अग्निपथ’ का वह डायलाग जिसमें वह कहते हैं मैं विजय दीनानाथ चौहान...।

तेंडुलकर और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने दिसंबर में कोलकाता में इस किताब के कवर का विमोचन किया था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन के दो दशक पूरे होने पर दीप प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब का लोकार्पण रविवार को हुआ।

FILE
तेंडुलकर ने कहा मिस्टर बच्चन, लताजी और आशाजी तीनों मुंबई से हैं और मेरी इनसे अकसर मुलाकात होती है। मेरे लिए ये सभी प्रेरणा का स्रोत हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो अपनी सृजनात्मक जिंदगी के हर पल का लुत्फ उठाते हैं। ये शॉर्टकट नहीं चाहते। मैं उनके रवैये का कायल हूँ।

उन्होंने कहा मैं एआर रहमान का भी मुरीद हूँ। उन्हें ऑस्कर मिला तो मुझे काफी फख्र हुआ। हम उस समय न्यूजीलैंड में थे, जहाँ से मैंने उन्हें एसएमएस भेजा।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 30000 से अधिक रन बना चुके तेंडुलकर को क्रिकेट पंडित डॉन ब्रैडमेन और विव रिचर्डस की जमात में रखते हैं, लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो यह मानते हैं कि हेलमेट पहनने के कारण तेंडुलकर को उस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। तेंडुलकर हालाँकि कहते हैं कि यदि उस दौर में उपलब्ध होता तो ब्रैडमेन को भी हेलमेट से गुरेज नहीं होता।

उन्होंने कहा यदि उपलब्ध हैं तो सुरक्षा उपकरण पहनने में कोई हर्ज नहीं है। बीस साल बाद ऐसी चीजें उपलब्ध होंगी, जिनके बारे में आज मैं सोच भी नहीं सकता। कौशल के अलावा तेंडुलकर अपनी जबर्दस्त एकाग्रता के दम पर निजी त्रासदियों को भुलाकर बेहतरीन प्रदर्शन करने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने अपने पिता, करीबी दोस्त मार्क मस्कारेंहास और संरक्षक राजसिंह डुंगरपूर की मौत से उबरते हुए अच्छा प्रदर्शन किया है।

यह पूछने पर कि वह ऐसा कैसे कर सके? तेंडुलकर ने कहा मैं इसका जवाब नहीं दे सकता। यह समझाना बहुत मुश्किल है। मैदान पर कुछ हो जाता है और मेरा शरीर तथा दिमाग पूरी तरह खेल पर केंद्रित हो जाता है। उन्होंने कहा विश्व कप 1999 के दौरान जब मेरे पिता की मौत हुई और मैं घर लौटा तो मेरे परिजनों ने मुझे इंग्लैंड लौटकर देश के लिए खेलने को कहा। इसमें मेरी माभी शामिल है।

उन्होंने कहा कि यदि बाबा होते तो वह ऐसा ही चाहते। ब्रायन लारा की तारीफ करते हुए कहा मैंने लारा के करियर को उतनी बारीकी से नहीं देखा है, लेकिन मैंने उसे टीवी पर खेलते देखा है। वह मेरे सर्वकालिक पसंदीदा क्रिकेटरों में से है। हमारे बीच कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। (भाषा)