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Written By ND

पप्पूप्रकाश के नए दोस्त

Kids Story | पप्पूप्रकाश के नए दोस्त
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पप्पू का नए शहर के नए स्कूल में आज पहला दिन था। वह थोड़ा उदास था। बाकी बच्चे तो खुशी-खुशी स्कूल जा रहे थे क्योंकि उन्हें अपने दोस्त मिलने वाले थे पर पप्पू को खुशी नहीं थी। पप्पू के पापा ने उसकी आगे की पढ़ाई के लिए अपना ट्रांसफर शहर में करवा लिया था।

उसके पापा चाहते थे कि पप्पू शहर के अच्छे स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर बने। ट्रांसफर से पप्पू खुश नहीं था क्यों‍कि गाँव से शहर आने में उसके सारे दोस्त गाँव में ही छूट गए। गाँव में पप्पू और उसके दोस्तों की पूरी टीम हुआ करती थी। गाँव में जुलाई की बारिश में जब स्कूल शुरू होता तो पप्पू बहुत खुश होता था। स्कूल में पप्पू अपने दोस्तों के साथ पढ़ता और फिर शाम को सभी इकट्‍ठा स्कूल के मैदान पर फुटबॉल खेलते। क्या खूब मजे के दिन थे पर ये मजे के दिन अब हवा हो गए थे।

शहर का सेंट पॉल स्कूल तो एकदम ही नई जगह थी। यहाँ वो मजा कहाँ था। इसी बात से पप्पूप्रकाश पटेल उर्फ पप्पू उदास था। पहले दिन स्कूल की बस आई। पप्पू ने बैग उठाया और बस में चढ़ गया। स्कूल गया तो पूरा दिन अकेला बैठा रहा। क्लास में दूसरे स्टूडेंट आपस में बातचीत कर रहे थे और पप्पू अकेला बैठा उनकी बातों को सुन रहा था। वह किससे बात करे? गाँव के स्कूल का यह होनहार स्टूडेंट यहाँ आकर गुमसुम हो गया था।

एक सप्ताह बीतने तक उसकी स्कूल में किसी से दोस्ती नहीं हुई। पप्पू ने भी किसी से दोस्ती करने की कोई पहल नहीं की। क्लास के दूसरे स्टूडेंट आपस में बातचीत कर रहे थे और पप्पू अकेला बैठा उनकी बातों को सुन रहा था। वह किससे बात करे? गाँव के स्कूल का यह होनहार स्टूडेंट यहाँ आकर गुमसुम हो गया था। एक सप्ताह बीतने तक उसकी स्कूल में किसी से दोस्ती नहीं हुई।

पप्पू ने भी किसी से दोस्ती करने की कोई पहल नहीं की। क्लास के दूसरे स्टूडेंट अपने पुराने दोस्तों के साथ बातचीत में व्यस्त रहे तो नए स्टूडेंट की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। पप्पू की तरह नए स्टूडेंट तो क्लास में और भी थे पर उन्होंने दोस्त बना लिए थे।

पप्पू की समझ में नहीं आता था कि दोस्ती किससे करे। मन नहीं लगने से पढ़ाई में भी वह पिछड़ता जा रहा था। फिर गाँव के हिन्दी मीडियम स्कूल से शहर के अँगरेजी मीडियम स्कूल में आने पर कोर्स भी बढ़ गया था। भट्‍ट सर ने क्लास में पहला टेस्ट लिया और रिजल्ट आया तो पप्पूप्रकाश को 10 में से 1 ही नंबर मिला। यह क्लास में सबसे कम था। बस फिर क्या था भट्‍ट सर ने पप्पूप्रकाश को खूब डाँट पिलाई।

उस दिन घर जाते-जाते पप्पू रूआँसा हो गया। कहाँ तो पप्पू गाँव के स्कूल में सबसे होनहार छात्र के तौर पर देखा जाता था। टीचर्स का चहेता और कहाँ आज क्लास के सामने इस तरह टीचर की डाँट।

पप्पू घर आया तो पापा ने पप्पू को अपने पास बुलाया और पूछा - क्या बात है पप्पू, तुम इन दिनों पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं लगा रहे हो। आज भट्‍ट सर ने फोन करके बताया कि टेस्ट में तुम्हें बहुत ही कम नंबर आए हैं। क्या बात है बेटा? तुम कुछ परेशान भी लग रहे हो? पापा के पूछते ही पप्पू ने बताया कि नए स्कूल में उसका बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है। उसे तो गाँव के स्कूल वापस जाना है।

पापा ने कहा - बेटा, मैं जानता हूँ कि तुम्हें अपने दोस्तों की याद आती होगी पर तुम्हें डॉक्टर भी तो बनना है। इसलिए तो तुम्हारा एडमिशन यहाँ करवाया है। पप्पू ने कहा - पर नया स्कूल मुझे अच्छा नहीं लगता। पापा ने कहा - बेटा कुछ दिन और देखो फिर धीरे-धीरे यहाँ भी दोस्त बन जाएँगे।

अगले दिन पप्पू स्कूल पहुँचा। इस दिन क्लास में कोई लिस्ट तैयार की जा रही थी। पप्पू ने सुना कि इंटरस्कूल फुटबॉल कॉम्पीटिशन हो रही है और उसके लिए टीम में नाम लिखे जा रहे हैं। तुम भी अपना नाम लिखवा दो आशुतोष ने पप्पू से कहा पर पप्पू ने कोई उत्साह नहीं दिखाया।

स्कूल की टीम तो बन गई बस एकस्ट्रा खिलाड़ी की कमी थी तो आशुतोष ने कहा कि पप्पूप्रकाश का नाम लिख लो। इस तरह न चाहते हुए भी पप्पूप्रकाश टीम में अतिरिक्त खिलाड़ी हो गए। इसी बीच भट्‍ट सर क्लास में आए और उन्होंने दो सप्ताह बाद अगले टेस्ट की तारीख बता दी थी और पप्पू दोबारा उनकी डाँट नहीं सुनना चाहता था तो उसने पढ़ाई को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया।

वह दिन भी आ पहुँचा जब इंटरस्कूल फुटबॉल काम्पीटिशन शुरू होनी थी। स्कूल का मैदान बड़ा था इसलिए मेजबानी सेंटपॉल स्कूल को मिली थी। सेंट पॉल स्कूल का पहला मैच स्टार पब्लिक स्कूल की टीम से था। पप्पूप्रकाश टीम के एक्स्ट्रा खिलाड़ी के तौर पर सामान संभाले बैठे थे। पप्पू की इस काम्पीटिशन में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

पर चूँकि आशुतोष ने ना‍म लिखवा दिया था तो उसने नाम कटवाना ठीक नहीं समझा। सोमवार के दिन हो रहे इस उद्‍घाटन मैच में दोनों ही टीमों का हौसला बढ़ाने के‍ लिए समर्थक मैदान के बाहर जमा थे। पहले मैच में विजयन के 2 गोल की मदद से मेजबान टीम ने स्टार विजयन पब्लिक स्कूल को आसानी से हरा दिया।

विजयन मैच का हीरो बन गया था। क्लास के सारे स्टूडेंट विजयन विजयन के नारे लगा रहे थे। विजयन को देखकर पप्पू को लगा कि अगर वह भी टीम में खेलता तो विजयन से बढ़िया प्रदर्शन कर सकता था। स्पर्धा आगे बढ़ी। सेंट पॉल स्कूल को अपना अगला मैच शुक्रवार को सेंट्रल स्कूल की टीम से खेलना था। सेंट्रल स्कूल की टीम मजबूत थी। इसलिए रणनीति बनने लगी। पप्पू प्रकाश चुपचाप सुनता रहा।

इसके बाद शुक्रवार भी आ पहुँचा जिसका सभी को इंतजार था। सेंट्रल स्कूल की टीम में अच्छे खिलाड़ी थे जो स्टेट लेवल तक फुटबॉल खेल चुके थे और यह मुकाबला जीतना सेंट पॉल स्कूल के‍ लिए सुई में धागा पिरोने जैसा था। मुकाबला शुरू हुआ। पहले हॉफ के 11 वें मिनट में सेंट्रल स्कूल के डेनियल ने शानदार गोल करके अपनी टीम को बढ़त दिलाई। इसके बाद सेंट पॉल स्कूल के खिलाड़ियों ने बहुत कोशिश की पर वे यह गोल उतार नहीं सके। रैफरी ने पहला हॉफ पूरा होते ही सीटी बजाई। सेंट्रल स्कूल के समर्थक अपनी टीम के प्रदर्शन से बहुत खुश थे और सेंट पॉल स्कूल के खेमे में चुप्पी थी। समर्थक भी निराश थे।

थोड़ी देर बाद दूसरा हॉफ शुरू हुआ। दूसरे हॉफ में विजयन पर ज्यादा जिम्मेदारी थी। लिहाजा शुरुआत में ही गोल करने की कोशिश में दूसरी टीम के खिलाड़ी से टककर हुई और विजयन गिर पड़ा। उसके पैर में चोट लग गई। सेंट पॉल स्कूल के कैंप में खामोशी छा गई।

स्टार खिलाड़ी चोटिल हो गया, अब तो मैच जीतना असंभव हो गया। विजयन की जगह लेने के लिए पप्पू को मैदान में उतरना पड़ा। पप्पू को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। पर अब तो टीम को उसकी जरूरत थी। पप्पू ने तुरंत मैदान संभाल लिया। सेंट पॉल स्कूल के खिलाड़ियों में कुछ चर्चा हुई और पप्पू को फारवर्ड पोजीशन पर खेलने को कहा गया। थोड़ी देर में पप्पू ने गजब के फुटवर्क से सभी को हैरान कर दिया।

स्कूल में किसी को यह नहीं मालूम था कि पप्पू गाँव में फुटबॉल टीम में शानदार खिलाड़ी था। दूसरे हॉफ के 15वें मिनट में पप्पूप्रकाश ने आशुतोष के पास को बहुत तेजी के साथ गोल में दे मारा और यह हुआ गोल। पप्पू..पप्पू टीम समर्थकों ने नारे लगाए। इस चिअरअप ने पप्पू में अचानक बदलाव ला दिया। सेंट पॉल स्कूल के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। अब गेम बराबरी पर आ गया था। पूरी टीम पप्पूप्रकाश के इस तरह के खेल से चमत्कृत थी। पप्पू को विपक्षी टीम ने भी कम आँका था। पप्पू ने ताली बजाकर सभी खिलाड़ियों को इकट्‍ठा किया और गेम प्लान बनाया।

पप्पू को लगा कि उसे गाँव वाले दोस्तों की तरह दोस्त मिल गए हैं। खेल फिर शुरू हुआ और इस बार रणनीति के तहत पप्पू ने आशुतोष को पास दिया और खुद दौड़कर डेविड को कवर किया। इसके बाद बॉल जब डेविड के पास आई तो पप्पू ने उसे छकाते हुए बॉल को निकाल लिया और गोल की तरफ लेकर चला।

विपक्षी टीम के गोल के नजदीक जोसेफ ने बॉल को ऊँचा उछाल दिया। इस पर पप्पू ने हैडर मारा और यह हुआ गोल। इस बार तो टीम के सभी खिलाड़ियों ने पप्पू को घेर लिया। क्लास में अकेला रहने वाला पप्पू हीरो बन गया। अब पूरी क्लास पप्पू को पहचानने लग गई थी। हर तरफ से आवाज आ रही थी पप्पू... पप्पू..। पप्पू भी अपने प्रदर्शन से खुश था। अचानक टीम में और स्कूल में पप्पू के कई दोस्त हो गए। और इसके बाद सेंट पॉल स्कूल ने यह मैच 2-1 से जीत लिया। पप्पू को टीम के साथी कंधे पर बिठाकर मैदान से लाए। पप्पूप्रकाश हीरो बन गए। स्पर्धा में पप्पूप्रकाश के जादुई प्रदर्शन के दम पर सेंट पॉल स्कूल चैंपियन बना और मैन ऑफ द सीरिज पप्पूप्रकाश घोषित किए गए।

पप्पूप्रकाश इसके बाद क्लास तो क्या स्कूल में ही जाना-पहचाना नाम हो गए। अब हर तरफ उनके दोस्त ही दोस्त थे। क्लास में तो पप्पूप्रकाश ने 10 में 7 नंबर पाए, जो क्लास में दूसरे सबसे ज्यादा थे। अब पप्पूप्रकाश को नए दोस्त मिल गए थे और उसका मन भी स्कूल में लग गया था।