मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. अंतरराष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: वाशिंगटन (भाषा) , मंगलवार, 8 जुलाई 2008 (23:01 IST)

आसान नहीं है एटमी करार की राह

आसान नहीं है एटमी करार की राह -
परमाणु करार की दिशा में बढ़ने के लिए भारत भले ही तैयार हो रहा हो लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में शायद इसे जरूरी मंजूरी नहीं मिल सके।

अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। उसके पहले अमेरिकी संसद का व्यस्त कार्यक्रम है और करार के लिए बहुत अधिक समय नहीं है।

बुश और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह तीन साल पहले करार की दिशा में सहमत हुए थे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि सिंह और उनकी कांग्रेस पार्टी ने करार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए घरेलू राजनीतिक बाधाओं को दूर कर लिया है।
करार के लिए अभी बड़ी बाधाएँ आ सकती हैं। करार के तहत अमेरिका भारत को असैनिक परमाणु ऊर्जा और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराएगा।

भारत को पहले आईएईए से जरूरी मंजूरी हासिल करनी होगी। इस मुद्दे पर विचार के लिए आईएईए की इस महीने ही बैठक होनी है।

भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और उसे इस दिशा में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से जरूरी मंजूरी लेनी होगी।