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Written By भाषा

'लिटिल बॉय’ ने मचाई थी हिरोशिमा में तबाही

आज हिरोशिमा दिवस पर विशेष

Atomic arms race, destruction of Hiroshima and Nagasaki, 'littleboy' killed around 1.5 Lakh people | ''लिटिल बॉय’ ने मचाई थी हिरोशिमा में तबाही
परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल देशों के लिए हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही सबक है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने जापान के हिरोशिमा शहर में अलसई सुबह में पहले परमाणु बम ‘लिटिल बॉय’ ने करीब डेढ़ लाख लोगों की जान ली थी।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के 67 शहरों में छह महीने तक बमबारी करने के बाद छह अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी सेना ने पहली दफा जापान के हिरोशिमा शहर में परमाणु शस्त्र का प्रयोग किया। हिरोशिमा शहर पर प्रयुक्त परमाणु बम का नाम ‘लिटिल बॉय’ था।

हिरोशिमा में सुबह के करीब 8 बजकर 15 मिनट पर ‘लिटिल बॉय’ बम 600 मीटर ऊपर से गिराया गया था। करीब 80 हजार लोग परमाणु बम गिरने के बाद तुरंत मारे गए और 90 फीसदी डॉक्टरों और 93 फीसदी नर्सों के मरने या घायल होने ने क्षति को बढ़ा दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान और अमेरिका के बीच चल रही जंग के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस.ट्रूमैन ने छह और नौ अगस्त को क्रमश: हिरोशिमा और नागासाकी शहर में परमाणु बम गिराने का आदेश दिया। मानवीय इतिहास की सबसे भयावह त्रासदी ने तकरीबन एक लाख 40 हजार लोगों की जान ली।

इसके बाद नौ अगस्त 1945 को नागासाकी में गिराए गए परमाणु बम का नाम ‘फैट मैन’ था। नागासाकी में परमाणु बम से 80 हजार लोग मारे गए थे। हिरोशिमा में बमबारी में 15 से 20 फीसदी लोग जलने, ट्रामा और विकिरण फैलने के कारण घायल हुए थे। इन शहरों के नागरिक बम से निकली विकिरण के कारण हुए त्वचा के कैंसर और ल्यूकेमिया से प्रभावित हुए थे और विकिरण से मरने का यह सिलसिला आज भी जारी है।

एक अन्य अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 1950 से 1990 तक परमाणु बम हमले के बाद जिंदा बचे लोगों में नौ प्रतिशत लोग विकिरण के कारण कैंसर और ल्यूकेमिया के कारण काल के गाल में समा गए थे।

समाजसेवी मनोज सिसौदिया ने कहा कि हथियारों की होड़ के चलते दुनिया सुरक्षित नहीं बल्कि पहले से अधिक असुरक्षित हुई है। अमेरिका हथियारों के लिए, जापान तकनीकी के लिए और भारत मानवीय समाधान पेश करने के लिए जाना जाता था।

उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे लोग हथियार तैयार करते हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या हम पढ़े-लिखे लोगों की जमात इसलिए तैयार करते हैं कि वे दुनिया को भयावह हथियारों की होड़ में झोंक दें।