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गुणकारी और शीतल इलायची

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पदमा राठी
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बारीक इलायची : कटु, शीतल, तीखे, छोटे सुगंधी, पित्तकर, मुख शोधक करने वाली रुक्ष और वायु, दम, कफ, खाँसी, अर्श, क्षय, विषदोष, कंठरोग, मूत्रकृच्छ, अश्मरी व्रण कडुं (खरज) नाशक है।

बड़ी इलायची : तीखी रुक्ष रुचिकर, मुख शुद्धिकर, सुगंधी, पाचक, शीत और अग्निदिप्त है। यह कफ, दम, पित्त, खरज, रक्त रोग, खाँसी, हृदय रोग, विषरोग, उल्टी आदि नाशक होती है।

उपयोग :

*आँखों में दाहकता या तेज कम होने पर इलाइची दाने और शकर समभाग में लेकर दोनों को पीसकर लेने से दाहकता से मुक्ति होती है।

*धातु पुष्टि हेतु : इलायची दाने, जायपत्री, बादाम मगज, गाय के दूध का मक्खन, शकर आदि को मिलाकर लेने से कमी दूर होती है।

* मूत्रकृच्छ में इलायची दानों का चूर्ण शहद में मिलाकर चाट लेने से लाभ मिलता है।

* उल्टी होने पर इलायची के छिलके जलाकर उसकी राख शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है।

*जीर्ण ज्वर और सर्व ज्वर पर : इलायची, बेलफल, साटोड़ी दूध और पानी मिलाकर उबालें। दूध आधा रह जाए तब पिएँ। इससे लाभ मिलता है।

*सर्वशूल पर : इलायची, हींग, जवखार व सेंधा नमक का काढ़ा, एरंडी के तेल के साथ लेना। कमर, हृदय, ऊदर, नाभि, पीठ, मस्तक, नेत्र, कर्ण की शूल में बहुत जल्द फायदा होता है।

* मुख रोग में इलायची चूर्ण और फिटकरी को फुलाकर उसका मिश्रण मुँह में लगाकर लार टपकने देना तथा बाद में मुँह धोना।

* इलायची एक फायदेमंद मसाला है। यह भोजन व पेय का स्वाद बढ़ाने में भी सहायक होती है, लेकिन कोई भी उपयोग करने से पूर्व मार्गदर्शन अवश्य लें।