शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By WD

एकता का जन्म

सूरज प्रकाश

एकता का जन्म -
मुसलमान ड्राइवर को देखते ही बाहर घसीट लिया जाता है। शकील मियाँ चिल्लाते हैं - ' मैं मुसलमान । मुझे बेशक रोक लो , लेकिन इस हिन्दू बहन को जल्द अस्पताल पहुँचाओ। इसकी जान खतरे में है।       
बहू को दर्द उठा है। सबके हाथ-पाँव फूल गए हैं । कैसे ले जाएँ इस समय अस्पताल। चारों तरफ मार-काट मची हुई है। चप्पे- चप्पे पे आग। दंगाईयों के दल लूट-पाट करते,कत्ल करते घुम रहें हैं। घर से निकलना, एकदम नामुमकिन। इधर जितनी देर होगी उतना रिस्क बढ़ता जाएगा।

रोना-धोना सुनकर पड़ोसन जागती है। स्थिति भाँपती है। किसी तरह गली-गली बचते-बचाते शकील मियाँ के घर पहुँचती है। दंगों के चक्कर में कई दिन से ऑटो खड़ा है । फाँके हो रहे हैं। वह सारी बात शकील मियाँ को बताती है । वे तुरन्त खड़े होते हैं- चलो मेरे साथ।

पाँच ही मिनटों बाद उनका ऑटो मरीज और दो औरतों को लेकर अस्पताल की तरफ जा रहा है।


दंगाइयों की भीड़ ऑटो रोक लेती है।

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मुसलमान ड्राइवर को देखते ही बाहर घसीट लिया जाता है। शकील मियाँ चिल्लाते हैं - ' मैं मुसलमान । मुझे बेशक रोक लो , लेकिन इस हिन्दू बहन को जल्द अस्पताल पहुँचाओ। इसकी जान खतरे में है। '

दंगाइयों के हाथ रूक जाते हैं। शकील मियाँ ऑटो में ‍िबठा दिए जाते हैं। उनके ऑटो के साथ ही दसियों लोग चल पड़ते हैं।

अस्पताल पहुँचते ही वह एक खूबसूरत बच्ची को जन्म देती है। तुरंत उसका नामकरण कर दिया जाता है -- एकता ।