गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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वो दो शव

Poem | वो दो शव
पेड़ पर दो लड़कियों के शव लटके हुए मिले
उनके साथ बलात्कार हुआ था फिर उन्हें मार डाला गया
-यह टीवी और अखबार की खबर है
कोई भी खबर असल में खबर का सिर्फ
सिरा ही तो देती है
उससे आगे कहां जा पाती है
वो खबर कहां बता पाई
बदायूं की उन दो लड़कियों का दर्द
खबर कहां कह पाई कि
बड़े नेता ने कुछ ही दिन पहले कहा था
लड़कों से हो जाती हैं गलतियां
इन लड़कियों के शरीर से बाहर
रिसते भीगे दुख के बावजूद
पत्थर ही बने रहे बड़े नेता के साहबजादे....
जब लड़कियां लटका दी गईं सीधे पेड़ के ऊपर
और पेड़ की मिट्टी में दबा दी गई
उनके परिवार की हंसी की अगरबत्तियां
तब सियासत गाती रहे अपने पुराने पिटे हुए गान
लड़कियां लटकी रहीं पेड़ पर
पुलिस पूछती रही जात
पिटती रही मां
और धर्म और शर्म
घूंघट लिए खड़े रहे चौराहे के सामने लगे लोकतंत्र के पेड़ के नीचे।
यह लड़कियां ही नहीं हैं
जिनके लटके पड़े हैं शव
यह भविष्य हैं उन लड़कियों का
जिनके पिता न नौकरशाह, न नेता
ये शव तमाचा है
उन सरकारी पोस्टरों पर
जो कहते हैं - लड़कियां इस देश की धरोहर हैं
जो हाथ इन लड़कियों को लटका गए होंगे शव पर
उन पर थूकने का भी मन नहीं
बेवजह बर्बाद होगा थूक
पर इन हां, बेकार नहीं जाएंगीं
इन लड़कियों की घोंटी हुई चीखें
यह याद रखना।