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Written By WD

मौसम ने करवट बदली है

Poem | मौसम ने करवट बदली है
लखनलाल आरोही
NDND
नीम के पत्ते झड़ गए
पलाश के पेड़ में
लग गई आग।
कोयल और भौरों ने
आम की मंजरियों के साथ
गंधा दिए
दिशाओं के गात।
ओ मेरी उदास प्रिये
तुम्हें मालूम नहीं
मौसम ने करवट बदली है
और इधर तुम्हारी मुस्कान को
किसने डँस डाला है?
एक बात मैं
पूछता हूँ तुमसे-
क्या बाहर के मौसम से
मन के मौसम का मेल नहीं है?
और इसलिए क्या
गुलमोहर की आग
तुम्हारे होंठों पर नहीं फैली?