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Written By WD

मेरी उदासी

Hindi Poems | मेरी उदासी
FILE

धूल के कण सूरज के प्रकाश में
उड़ रहे हैं
सुबह को छीन मेरा दानव
कहीं छिप गया है
अफसोस का प्रहरी
दिन भर चक्कर लगाता रहता है
मेरी उदासी
पेड़ों के नीचे पानी को खड़ा देख
भागती है पूर्व की ओर
सूरज के पिछले हिस्से में जा
छिप जाती है
मैं खुशी से ओत प्रोत हो उठती हूं।

- चम्पा वैद