मिट जाएँगी मेरी स्मृतियाँ
'शलभ' श्री राम सिंह की कविताएँ
*पृथ्वी पर जन्मेअसंख्य लोगों की तरहमिट जाऊँगा मैं,मिट जाएँगी मेरी स्मृतियाँमेरे नाम के शब्द भी हो जाएँगेएक दूसरे से अलगकोश में अपनी अपनी जगह पहुँचने कीजल्दबाजी मेंअपने अर्थ समेट लेंगे वे!*औरत ने कहामर्द ने कुछ भी नहीं सुनामर्द ने कुछ भी नहीं कहाऔरत ने सुन लिया सब कुछ!*एक बच्चाकि सपना औरत और मर्द का मिला जुलापूरा का पूरा आदमी बनकर खड़ा है!
*प्यार थामुस्कान में, चुप्पी मेंयहाँ तक कि खिड़की में भी प्यार था!*हाथी की नंगी पीठ परघुमाया गया दाराशिकोह को गली गलीऔर दिल्ली चुप रहीलोहू की नदी में खड़ामुस्कुराता रहा नादिर शाहऔर दिल्ली चुप रहीसाभार : कृत्या प्रकाशन