मन की खूबसूरती के लिए जरूरी है 'ध्यान'
ध्यान की आसान तकनीक
ध्यान कल्पवृक्ष है। इसकी सुखद छांव में जो भी बैठता है, उसकी सभी कामनाएं अपने आप पूरी हो जाती हैं। ध्यान में मन का मंथन होता है। मन की अस्त-व्यस्तता ही मानसिक विकृतियों का कारण होती है। ध्यान द्वारा मन एकाग्र होता है और उसकी चंचलता धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। ध्यान के क्षणों में मिलने वाला आत्मिक सुख एवं गहन शक्ति मन की सारी ग्रंथियों को तोड़ देता है और व्यक्ति अपने आप को हल्का-फुल्का महसूस करने लगता है। ध्यान की तकनीक * ऊपर अनंत आसमान को देखें, सोचें किस तरह से अनगिनत तारों से रोशनी लाखों-अरबों सालों चलकर आपकी आंखों तक पहुंच रही है। * एक नदी के बारे में सोचें- सोचें कि आपके विचार नदी की तरह हैं जो आपके सिर के ऊपर से गुजरते हैं, थोड़ी देर ऊपर घूमते हैं और बहे चले जाते हैं। उन्हें जाने दें। * एक लंबी सांस लें। किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है। आप सिर्फ सांस ले रहे हैं। अपनी सांसों को गिनें- एक- उसे जाने दें, दुबारा सांस लें- दो- उसे जाने दें- सांस लेते रहिए, गिनते रहिए। यही आपकी गोपनीय ध्यान क्रिया है। * अस्पताल जाइए, बाहर खड़े होइए और खिड़की की तरफ देखिए। अंदर जो कोई भी हो-एक बच्चा, माता- पिता, वृद्ध आदमी या औरत, प्रार्थना कीजिए कि वह जल्दी स्वस्थ हो जाए। उन्हें आपकी प्रार्थना की आपसे ज्यादा जरूरत है। क्योंकि आप अस्पताल के बाहर की तरफ हैं। * समय से चलें। अपने मन के अंदर झांकें और उस खुशी के पल को याद करें, जिसे आपने बरसों से याद न किया हो। उस पल को याद कर अपने को आश्चर्यचकित करें। इस खुशी के पल को अपनी यादों में जिंदा रखें। उस पल के रंग, खुशबू को याद करें- अपनी प्रत्येक इंद्रियों का इस्तेमाल करें- आप समय के अंदर होकर आएं।