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Written By ND

बच्चों की फिटनेस

बच्चों की फिटनेस -
- डॉ. प्रमोद जोग
ND
बच्चों के स्वास्थ्य प्रति यूँ तो पालक बहुत जागरूक होते हैं लेकिन उन्हें कई जरूरी बातों की जानकारी नहीं होती। मसलन बच्चे का वजन किस उम्र में कितना हो इस बारे में लोगों को पता नहीं होता। केवल पौष्टिक आहार देने मात्र से ही बच्चा फिट रहेगा ऐसा नहीं है। उसे नियमित खेलकूद अथवा कसरत करते रहने के लिए भी प्रेरित करना जरूरी होता है।

लड़का या लड़की- ये स्त्री-पुरुष की महज छोटी प्रतिकृति नहीं होते। उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास की स्वतः कुछ खासियतें होती हैं। यदि इनकी जानकारी पालकों को हो तो बच्चों की परवरिश अधिक समझदारी से की जा सकेगी। पहले बच्चे यानी लड़का या लड़की का वजन और ऊँचाई ठीक है, क्या देखें?

जन्मतः बच्चे का वजन सामान्यतः ढाई से तीन किलो होता है, जो 15वें महीने में बच्चे के वजन से दुगुना होना चाहिए। माँ का दूध सहज तौर पर मिलने से 5-6 महीने के बच्चे का वजन दो गुना हो जाता है। 6 महीने पूरे होने के साथ ही पूरक आहार में लापरवाही होने लगती है जिस वजह से बच्चे का वजन सालभर में जन्म से तीन गुना होने का आनंद बहुत कम पालकों के चेहरों पर नजर आता है।
  बच्चों के स्वास्थ्य प्रति यूँ तो पालक बहुत जागरूक होते हैं लेकिन उन्हें कई जरूरी बातों की जानकारी नहीं होती। मसलन बच्चे का वजन किस उम्र में कितना हो इस बारे में लोगों को पता नहीं होता। केवल पौष्टिक आहार देने मात्र से ही बच्चा फिट रहेगा ऐसा नहीं है।      


पहली सालगिरह के बाद वजन बढ़ने की गति कम हो जाती है। 2 साल पूरे होने पर वजन जन्म से चौगुना (यानी जन्म के वक्त ढाई हो तो 2 साल में 10 किलो) तक बढ़ा होता है। इसके पश्चात साल-दर-साल 1 किलो वजन बढ़ता जाता है।

ऊँचा
जन्म के समय यदि लंबाई 50 सेमी होती है तो साल पूरा होते-होते यह 75 सेमी तक बढ़ जाती है। जन्म के चार साल बाद ऊँचाई दोगुनी (यानी तकरीबन 100 सेमी हो जाती है)। बाद में यह ऊँचाई हर साल 6 सेमी तक बढ़ती है। लड़के या लड़की के आहार में कमी होगी तो वजन पर भी असर होगा। लंबे समय तक कुपोषण का असर बच्चे की ऊँचाई पर पड़ता है। आयरन की कमी से एनीमिया होता है।

1 से 5 साल तक की उम्र के बच्चे की बाँह का घेरा 12.5 सेमी से कम हो तो मान लीजिए कि बच्चा कुपोषण का शिकार है। बच्चे का चेहरा गुलाबीहोने की बजाए सफेद हो तो उसे कुपोषणग्रस्त समझना चाहिए। होंठों के किनारों का बार-बार फटना, जीभ और मुँह का आना ये तमाम बीमारियाँ विटामिन बी की कमी की वजह हैं। इसी तरह हाथ के नाखूनों के पीछे की त्वचा का काला पड़ना फॉलिक एसिड की कमी का परिणाम है।

मुट्ठीभर हरी सब्जियाँ, कचूमर, फल रोजाना खाने से यह ठीक हो जाता है। बढ़ती उम्र में शरीर को फिट रखने के लिए प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन्स आदि की जरूरत होती है। इसकी कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है। इन बच्चों को सर्दी-जुकाम और दस्त बार-बार होते हैं।