गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. »
  3. विचार-मंथन
  4. »
  5. विचार-मंथन
Written By WD

भारतीय होने का मलाल

ओसामा बिन लादेन बहादुर है-सफदर नागौरी

भारतीय होने का मलाल -
WDWD
गत गुरुवार को 12 अन्य साथियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़े स्टूडेंट्‍स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के राष्ट्रीय महासचिव और मध्यप्रदेश के सरगना सफदर नागौरी को भारतीय होने का मलाल है। महत्मा गाँधी और पंडित नेहरू के प्रति भी उसके दिल में कोई सम्मान नहीं है। इंडिया टुडे के अप्रैल 2001 के अंक में नागौरी का साक्षात्कार प्रकाशित हुआ था। सायंतन चक्रवर्ती द्वारा लिए ‍गए इस इंटरव्यू के माध्यम से इस खतरनाक शख्स के इरादों और योजनाओं के बारे में जाना जा सकता है।

क्या आप जानते हैं कि सरकार सिमी के कार्यकलापों पर नजर रख रही है?
हाँ, हम जानते हैं, लेकिन सरकार से तो यही उम्मीद की जा सकती है, है कि नहीं?

आपके कैलेंडर पर लिखे 'जेहाद हमारा रास्ता है' की व्याख्या करेंगे?
कुरान के मुताबिक किसी एक व्यक्ति को सताने पर नहीं, बल्कि पूरी कौम को सताने पर ही जेहाद का नारा दिया जाता है। इसके कई चरण हैं- पहले आप अपनी आवाज उठाइए, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जताइए, चेतावनी दीजिए, यदि इससे भी बात न बने तभी व्यक्ति बगावत पर उतारू होता है, तब हथियार उठाइए।

तो आप जेहाद के किस चरण में हैं?
जब मुसलमानों की आवाज दबा दी जाती है, जब कानपुर की तरह हम पर गोली चलाई जाती है और लोग मारे जाते हैं, जब संघ परिवार घोषणा करता है कि अयोध्या में मार्च 2002 तक मंदिर बन जाएगा, तब मैं कहूँगा कि मुसलमान चुप नहीं बैठेंगे।

लेकिन आरएसएस सरकार को नहीं चला रहा?
बेशक चला रहा है। अटलबिहारी वाजपेयी के बयान, 'मैं स्वयंसेवक हूँ' से तो मुसलमानों के मन में कोई संदेह नहीं रह जाता। कई बार वे बाबरी प्रकरण पर घड़ियाली आँसू बहाते हैं।

सिमी भारतीय नेताओं पर तीखे हमलों के लिए जाना जाता है?
सिमी ही नहीं, हम मुसलमान भारतीय नेताओं को अपना आदर्श नहीं मानते। बस एक ही सच्चा अल्लाह है, एक ही सच्चा आदर्श।

इसकी व्याख्या करेंगे?
यह बात कि महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता हैं और पंडित नेहरू एक बड़े राजनीतिज्ञ, हमें अपने बुनियादी सिद्धांतों पर सीधा हमला लगती है। नेहरू चाहते थे कि मुसलमान गुलाम अहमद कदैनी को अपना पैगंबर मानें। वे हमें अपनी धार्मिक आस्था बदलने को मजबूर कर रहे थे। ऐसे शख्स के लिए हमारे मन में कोई जगह नहीं है। गाँधी को भी हम किसी तरह अपना आदर्श नहीं मानते। न ही इंदिरा गाँधी को।

तो आपका एजेंडा क्या है? भारत का इस्लामीकरण?
हमारे मन में दूसरे धर्मावलंबियों के लिए आदर है, लेकिन इसके साथ-साथ हमारा उद्‍देश्य कुरान के उपदेश का प्रचार करना भी है। और ऐसा गैर मुसलमानों में भी किया जाएगा, लेकिन वैसे नहीं जैसे आप चाहते हैं कि लोग वंदे मातरम गाएँ।

लगता है कि भारतीय होने का बहुत पछतावा है आपको?
हाँ, मेरे मन में बहुत कड़वाहट है। यरुशलम में, जहाँ मुसलमानों पर दुनिया में सबसे ज्यादा अत्याचार हुए, प्रमुख मस्जिद मस्जिद-ए-अक्सा आज तक मौजूद है, लेकिन अयोध्या में ऐसा नहीं हुआ। वहाँ प्रदर्शनकारियों को दूर रखने के लिए रबड़ की गोलियाँ इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन कानपुर में मुसलमानों को गोलियों से भून दिया जाता है।

अपने सम्मेलनों में आपने ओसामा बिन लादेन का खुल्लमखुल्ला समर्थन किया?
एक बार नहीं, दर्जनों बार। हमारा मानना है कि उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादियों अमेरिकियों के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया है। अमेरिका का आरोप है कि नैरोबी और दार-ए-सलाम में दूतावास पर हमले में उसका हाथ था मगर यह सच नहीं है।

लेकिन वह भारत में आईएसआई की गति‍‍विधियों का समर्थन करता है?
गलत, आईएसआई का ओसामा से कोई संबंध नहीं है। उसका अव्वल दुश्मन भारत नहीं, अमेरिका है।

सिमी के सम्मेलनों में पाकिस्तान में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख काजी हुसैन के भाषणों का टेप सुनाया जाता है, क्यों?
काजी चाहते हैं कि हम इस्लाम को गैर मुसलमानों तक ले जाएँ।

उत्तर भारत में सिमी की मौजूदगी दक्षिण की अपेक्षा अधिक है?
हम हर जगह समान रूप से मौजूद हैं। केरल और महाराष्ट्र में हम उतने ही मजबूत हैं जितने उत्तरप्रदेश और दिल्ली में।

आपके खयाल से आपका एजेंडा आपको कहाँ ले जा रहा है?
हम तो जड़ों में बदलाव चाहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में खुली सैद्धांतिक बहस होनी चाहिए। (साभार)
सिमी आतंकवादी पुलिस रिमांड पर
उज्जैन की बैठक में हुए थे सनसनीखेज निर्णय
इंदौर में 26 दिनों से डेरा डाले थे आतंकवादी
सिमी के 13 आतंकवादी गिरफ्तार