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Written By प्रियंका पांडेय
Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (22:03 IST)

भारत ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

एक साथ दस उपग्रहों का प्रक्षेपण

भारत ने बनाया विश्व रिकॉर्ड -
बदलते भारत की बदलती हुई तस्वीर। इस बदलती हुई तस्वीर का सुनहरा चेहरा देश के कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जिसमें विज्ञान व प्रौद्योगिकी का क्षेत्र अपना अहम स्थान रखता है।

विकास के नए आयामों को छू रही भारतीय प्रौद्योगिकी का एक नायाब उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने सोमवार को एक साथ दस उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया, जिसमें रिमोट सेन्सिंग उपग्रह को भी प्रक्षेपित किया गया।

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (एसडीएससी) में हुए इस प्रक्षेपण द्वारा इसरो ने विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। इसरो के पोलर सैटेलाइट वैहकिल (पीएसएलवी-सी9) ने 690 किलोग्राम वाले भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कारटासैट-2ए के साथ-साथ, 83 किलोग्राम के भारतीय मिनी सैटेलाइट (आईएमएस-1) और आठ नैनो सैटेलाइट को पोलर सन साइनक्रोनस कक्ष पर प्रक्षेपित किया है। यानी कुल मिलाकर 820 किलोग्राम के वजन वाले दस उपग्रहों का प्रक्षेपण करके विश्व रिकॉर्ड कायम किया है।

गौरतलब है कि यह प्रक्षेपण अभी तक पीएसएलवी का 12वाँ सफल प्रक्षेपण है। इससे पहले रूस ने एक साथ आठ उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण संपादित किया था।

कारटासैट -2एः प्रक्षेपण का विशेष आकर्षण - कारटासैट -2ए इसरो को गौरवान्वित करने वाला एक रिमोट सेन्सिंग उपग्रह है। इस उपग्रह में एक पैन्क्रोमैटिक कैमरा (पान) विद्यमान है जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र के काले-सफेद चित्र लिए जा सकते हैं। इससे प्राप्त डाटा देश के शहरी व ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

भारतीय मिनी सैटेलाइट (आईएमएस-1) - 83 किलोग्राम के भारतीय मिनी सैटेलाइट (आईएमएस-1) भी इसरो द्वारा विकसित की गई एक रिमोट सेन्सिंग एप्लीकेशन है, जो आधुनिकतम तकनीकी से लैस है। इससे प्राप्त डाटा द्वारा अंतरिक्ष एजेन्सियों और विद्यार्थी कम्युनिटियों को सहायता प्रदान की जाएगी। इसके भीतर एक मल्टी स्पैक्ट्रल कैमरा व हाइपर-स्पैक्ट्रल कैमरा विद्यमान है, जो कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के इन्फ्रारेड क्षेत्र में उपयोगी है।

वहीं आठ नैनो उपग्रह, जिसमें से छः उपग्रहों का समूह एनएलएस-4 के नाम से जाना जाता है और अन्य दो नैनो उपग्रह एनएलएस-5 और रुबिन-8 के नाम से जाने जाते हैं, मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट्स के हितों को ध्यान में रखकर निर्मित हैं।

क्या है पीएसएलवी? पीसएलवी यानी पोलर सैटेलाइट लांच वैहकिल इसरो द्वारा विकसित एक विस्तृत लांच प्रणाली है, जिसका संचालन पूरी तरह से इसरो के हाथों में है। इसका प्रक्षेपण 20 सितंबर 1993 को हुआ था।

इसके निर्माण का उद्देश्य भारत में रिमोट सेन्सिंग डिवाइस के लांच को बढ़ावा देना है, जो कि अभी तक केवल रूस द्वारा ही संपादित हुआ है। साथ ही पीएसएलवी द्वारा छोटे आकार के उपग्रहों को जीओस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) पर प्रक्षेपित भी किया जाता है।

इसरो के बढ़ते कदम - भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (इसरो) के पिता माने जाने वाले डॉक्टर विक्रम साराभाई द्वारा देखा गया इसरो का स्वप्न, भारत सरकार ने 1972 में स्पेस कमीशन व डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (डॉस) के रूप में यथार्थ में बदला।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उपग्रह के विकास, उपग्रह के प्रक्षेपण, रॉकेट्स के प्रक्षेपण तथा अन्य संबंधित कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत आर्यभट्ट, भास्कर, रोहिणी, एप्पल, उपग्रह तथा एसएलवी-3 और एएसएलवी जैसे लांच वैहकिल प्रक्षेपित किए हैं।