पाठकों के पत्र (प्रतिक्रियाएँ)
वेबदुनिया की नई सज-धज के साथ आपका प्रिय स्तंभ 'पाठकों के पत्र' भी एक बार फिर नए रूप-रंग में प्रस्तुत है। इसके माध्यम से आप अपनी प्रतिक्रियाएँ प्रेषित कर सकते हैं, जिन्हें हम साप्ताहिक रूप से प्रकाशित करेंगे। आप न्यूनतम 50 और अधिकतम 100 शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। - संपादक लता मँगेशकर बहुत अच्छी गायिका हैं। उनकी आवाज में बहुत शक्ति है। आपका आलेख मुझे बहुत पसंद आया। वेबदुनिया बहुत अच्छा काम कर रहा है। विनोद कुमार ([email protected]m)
वेबदुनिया मुझे बहुत पसंद है। वेबदुनिया पर हमें ढेर सारी पठनीय सामग्री और साथ ही जानकारियाँ भी मिलती हैं। लेकिन यहाँ पहले बहुत सारे पुराने गीत थे, जो अब आपने हटा दिए हैं। बाकी सब बहुत अच्छा है। समाचार और सामयिक घटनाओं पर अच्छी जानकारी होती है। लेकिन वेबदुनिया को और उपयोगी बनाने के लिए आप प्राचीन इतिहास और मध्यकालीन इतिहास पर भी सामग्री अवश्य दें। इससे वेबदुनिया की महत्ता बढ़ेगी।
अत्तार सिंह सर्धना ([email protected]m)
वेबदुनिया के नए प्रारूप पर बधाइयाँ। अभिनेता राजकुमार पर आपकी प्रस्तुति बहुत सराहनीय है। राजकुमार बहुत गंभीर और शानदार व्यक्ति थे। आलेख काफी पसंद आया।
सज्जन तिवारी ([email protected]m)
‘एक यंत्र माँओं के लिए’ आलेख मुझे बहुत पसंद आया। यह कामकाजी महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। ‘वामा’ के और भी आलेख महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी हैं। वेबदुनिया बहुत अच्छा और सराहनीय काम कर रहा है।
रेखा ([email protected]m)
वेबदुनिया की उपलब्धियों पर मेरी ओर से ढेर सारी बधाइयाँ। गीत-गंगा कॉलम बहुत अच्छा आता है। लता और और उनके गीत ‘चुप-चुप बैठे हो जरूर कोई बात है’ पर अजातशत्रु की प्रस्तुति बहुत मोहक लगी। यह मेरा भी पसंदीदा गीत है।
आनंद ([email protected]m)
वेबदुनिया बहुत अच्छा और सराहनीय काम कर रहा है। वेबदुनिया का नया प्रारूप भी बेहतरीन है, लेकिन पहले यहाँ और ज्यादा जानकारियाँ हुआ करती थीं। सेहत और जड़ी-बूटी में पहले जितनी चीजें थीं, अब उतनी नहीं हैं। कृपया वह सब फिर से प्रकाशित करें।
के. प्रजापति ([email protected]m)